रणजी ट्रॉफी: रणजी ट्रॉफी के 9 मैचों में 65 विकेट लेकर सौराष्ट्र के कप्तान जयदेव उनादकट ने अपनी टीम को फाइनल में जगह दिलाई है. जयदेव रणजी ट्रॉफी के इतिहास में एक सीजन में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज भी बन गए हैं. अपने इस शानदार प्रदर्शन के साथ ही जयदेव ने एक बार फिर टीम इंडिया के दरवाजे पर खड़का दिया है. 9 मार्च से राजकोट में सौराष्ट्र और बंगाल के बीच फाइनल मुक़ाबला खेला जाना है. इससे पहले एबीपी न्यूज़ के खेल संवाददाता कुंतल चक्रवर्ती को एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में जयदेव ने कहा कि वो किसी भी फॉर्मेट में खेलने के लिए तैयार हैं.
सवाल: राजकोट का जो विकेट है ये विकेट बल्लेबाज़ों के लिए आसान है. डबल- ट्रिपल सेंचुरी इस पिच पर इससे पहले बहुत सारे बल्लेबाज़ों ने लगाया है. 4 मैच आपने राजकोट में खेले है और कुल 9 मैचों में 65 विकेट लिए है. ये किसी भी फ़ास्ट बॉलर के लिए रणजी ट्रॉफी के इतिहास में एक सीजन में सबसे ज़्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड भी है. क्या कहना चाहेंगे आप इस सीजन के बारे में?
जयदेव: सबसे पहले तो इस सीजन की बात करूं तो इससे बेहतर मैं कुछ एक्सपेक्ट नही कर सकता हूं. जैसा रिदम मेरा चल रहा था कई बार ऐसा होता है अच्छे रिदम के बावजूद भी विकेट्स आसानी से नही मिलती है . इस सीजन में मैं जैसे गेंदबाज़ी की और विकेट्स मिलता गया इसमे एक बात तो तय है कि जो रूटीन मैंने फॉलो किया वो बहुत फायदेमंद रहा. इससे अच्छा कुछ हो नहीं सकता था और मैं बहुत खुश हूं कि अब एक फ़ास्ट बॉलर के हिसाब से एक सीजन में सबसे ज़्यादा विकेट्स लेने का रिकॉर्ड भी मेरे नाम है. कई बार ऐसा होता है कि अच्छी गेंदबाज़ी करने के बाद भी आपको सफलता नही मिलती है . मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ और राजकोट में खेलकर मुझे लगता है कि मेरा गेम और भी इम्प्रूव हुआ है. बल्लेबाज़ी के सहायक विकेट पर गेंदबाज़ी करके मुझे ज़्यादा अच्छा करने का मोटिवेशन मिला है. हर बार मुझे पता होता है की वहां विकेट्स लेने के लिए मुझे दूसरे गेंदबाज़ों से बेहतर करना होगा.
सवाल: आपने जब यहां 7 विकेट लिए तो एक ऐसे आक्रामक तरीके से सेलिब्रेशन किया. ऐसा आपको पहले कभी करते हुए नहीं देखा गया. इस पर क्या कहेंगे. क्या आपमे कोई बदलाव आया है?
जयदेव: मैच के बाद रिप्ले में जब वो सेलिब्रेशन मैंने देखा तो मुझे भी लगा कि ये मैं नही हूं. हाई प्रेशर वाला सेमीफाइनल मैच था तो ऐसा हो सकता है. टेंस मोमेंट्स था, वो लोग अच्छी बैटिंग कर रहे थे. मुझे पता था टी ब्रेक के बाद वाले एक स्पेल गुजरात खेल लेता तो नतीजा कुछ भी हो सकता था. तो मैच में जो इंटेंसिटी लेवल थी जो एड्रेनैलिन लेवल था वो बहुत हाई था. ऐसे में इस तरह के आक्रामक सेलिब्रेशन हो गया होगा, लेकिन बाद में मैंने जब उसको दोबारा देखा तो मुझे भी लगा कि जिस जयदेव उनादकट को मैं जानता हूं ये वो नहीं है.
सवाल: क्रिकेट के जो जानकर है उनका कहना है कि एक लेफ्ट आर्म फ़ास्ट बॉलर भारतीय टीम के गेंदबाज़ी डिपार्टमेंट को और भी वैरायटी दिला सकते है. हालांकि कोई भी क्रिकेटर यही कहते है कि सिलेक्शन मेरा काम नहीं है, फिर भी आपसे जानना चाहेंगे कि आप भारतीय टीम में वापसी के लिए कितने कॉंफिडेंट हैं?
जयदेव : देखिये आप अगर मुझसे जानना चाहते है कि मेरा माइंडसेट क्या है मैं कहूंगा कि एक बॉलर के रूप में मेरा इतनी अच्छा माइंडसेट इससे पहले कभी नहीं था. मैं अभी आपने बोलिंग और स्किल्स के ऊपर पूरी तरह से कांफिडेंट हूं. फिटनेस लेवल भी काफी ऊपर है, इस सीजन में जिस तरह का वर्क लोड मैंने लिया है इसको देखते हुए मुझे लगता है अब मैं भारतीय टीम के लिए फिरसे तैयार हूं और सिर्फ यही नहीं, कोई भी फॉर्मेट के लिए तैयार हूं. लेकिन जैसे आपने कहा कि टीम सिलेक्शन मेरे हाथ मे नहीं है और फिलहाल भारतीय टीम में सारे गेंदबाज़ों ने जिस तरह के हाई स्टैंडर्ड्स सेट किया तो मेरा काम भी यही होगा कि मैं खुदको और बेहतर करूं. फिलहाल रेड बॉल क्रिकेट खेल रहा हूं, इसके आगे वाइट बॉल के साथ खेलना है, तो लक्ष्य यही है कि बेहतर करते जाना है, क्योंकि मौका कब आएगा किसी को पता नहीं है. और जब आएगा तो मुझे बस फॉर्म में रहना जरूरी है. लेकिन आपको बता सकता हूं कि मैं फिलहाल अपने कैरियर में सबसे कॉंफिडेंट फेज में से चल रहा हूं.
सवाल: इस साल टी-20 विश्व कप है और मुझे याद है कि 13 साल पहले जब भारतीय टीम पहली बार टी 20 विश्व कप में जीत हासिल की थी तो एक लेफ्ट आर्म फ़ास्ट बॉलर ने कमाल के प्रदर्शन किया था. मैं इरफान पठान की बात कर रहा हूं. क्या आपको लगता है कि अगर मौका मिला तो ये साल आपके नाम हो सकता है?
जयदेव: फिलहाल जिस तरह से मैं गेंदबाज़ी कर रहा हूं, हालांकि ये लंबे फॉर्मेट है लेकिन गेंदबाज़ों का जो रिदम रहता है वो तीनों फॉर्मेट में बरकरार रहता है. इसलिए मेरी कोशिश यही रहगी कि फिलहाल जो फॉर्म है उसको आगे भी बरकरार रखके आईपीएल में भी अच्छा करूं. मेरे ऊपर कोई प्रेशर नहीं है कि मुझे पता है कि मौके आते रहेंगे सिर्फ अपना जो काम है उसपर फोकस रखना ज़रूरी है.
सवाल: इससे पहले मैंने आपको जितना भी देखा उसमे आप गेंद को बाहर निकालने की कोशिश करते थे, शॉर्टर फॉर्मेट में योर्कर्स और स्लोवेर्स पे ध्यान दिया. लेकिन इस बार रणजी ट्रॉफी में देखने को मिल रहा है कि आप राइट हैंडेड बल्लेबाज़ों के खिलाफ गेंद को अंदर ले रहे है, जिसमें वसीम अकरम या फिर इरफान पठान जैसे गेंदबाज़ मास्टर थे. क्या कहेंगे आप?
जयदेव: लेफ्ट आर्म तेज़ गेंदबाज़ों के लिए ये एक बहुत ही ज़रूरी स्किल है. अगर आप इस पर ज़्यादा कंट्रोल हासिल कर पाते है तो बल्लेबाज़ों के लिए मुश्किल हो जाता है. इससे पहले जितने महान लेफ्ट आर्म तेज़ गेंदबाज़ आए हैं उन्होंने भी यही कोशिश की है . दोनो तरफ बड़े बड़े स्विंग करना आसान नहीं. बल्लेबाजों को आप छोटे छोटे बदलाव के साथ भी मुश्किल में डाल सकते हैं. इस सीजन में मैंने कोशिश की कि लाइन और लेंथ ऐसा रखना है जिससे बैट्समैन के लिए काम मुश्किल हो जाए और मुझे खुशी है कि जैसा मैंने सोचा वैसा करने में कामयाब रहा.
सवाल: सेमीफाइनल फाइनल मुक़ाबले से पहले क्या आपको पता था कि कितने विकेट्स लेने पर आप रिकॉर्ड बना सकते है?
जयदेव: क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल के बीच मे जो तीन चार दिन होते हैं उसमें हम जब बात करते थे उसमे साथी खिलाड़ियों ने मुझे कहा कि मैं रिकॉर्ड से दूर नही हूं. तो मुझे पता था लेकिन मैच जब शुरू हुआ मेरे दिमाग से ये सब निकल गया था. जब दूसरे इनिंग्स में गुजरात के बल्लेबाज पिच पर सेट हो गए थे तो मुझे लग रहा था कैसे ये पार्टनरशिप को तोड़ा जाए. तब मैं रिकार्ड्स को लेकर कुछ सोचा ही नही था. फोकस विकेट्स निकालने पर था.
एक आखिरी सवाल: रणजी ट्रॉफी के फाइनल मुक़ाबला बंगाल के खिलाफ है. दोनो ही टीमों ने इस सीजन में शानदार क्रिकेट खेला. आप सौराष्ट्र के कप्तान भी हैं, तो फाइनल मैच से पहले आपने साथी खिलाड़ियों को क्या कहा? पहली बार सौराष्ट्र के सामने रणजी जीतने का मौका है चेतेश्वर पुजारा पर क्या अपडेट है. क्या वो फाइनल मैच खेल रहे हैं?
जयदेव: चेतेश्वर पुजारा ने टीम के साथ ज्वाइन कर लिया है. शनिवार को वो मैच से पहले प्रैक्टिस भी करेंगे. फाइनल मुक़ाबला है और दोनो ही टीम काफी अच्छी फॉर्म में चल रही हैं. मुक़ाबला बराबरी का होगा, लेकिन हम लोग राजकोट में खेल रहे है तो होम एडवांटेज मिलेगा. पिच कैसी है हम लोगों को बेहतर पता है और चेतेश्वर के रहने से बल्लेबाज़ी क्रम भी मजबूत है. बहुत लोग भी सपोर्ट करने आएंगे तो खिलाड़ियों को भी महसूस होगा कि हम लोग खुद के लिए नहीं सौराष्ट्र के लोगों केलिए खेल रहे हैं. इतने सालों से कोशिश जारी है रणजी ट्रॉफी जितने का और वो मौका अब सामने है. लेकिन कोई प्रेशर नही लेना चाहते है खिलाड़ी. इस साल नही तो अगले साल, अगले साल नहीं तो उसके अगले साल ट्रॉफी ज़रूर जीतेंगे हमलोग. क्योंकि ये टीम एक स्पेशल टीम है.