कुंबले के इस फैसले से लगा झटका, मनपसंद कोच नहीं मांग सकते खिलाड़ी: सुनील गावस्कर
नई दिल्ली: टीम इंडिया के लिजेंड और कोच अनिल कुंबले ने बीते दिन अपने पद से इस्तीफा देकर भारतीय क्रिकेट में भूचाल ला दिया. चैम्पियंस ट्रॉफी के समापन के बाद कुंबले अपने पद से इस्तीफा देकर ज़ाहिर कर दिया कि उनके इस्तीफे के पीछे की वजह कप्तान विराट कोहली के साथ अनबन है.
जिसके बाद टीम इंडिया के दिग्गज लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने कहा, 'मुझे बहुत बुरा लगा कि कुंबले जैसे दिग्गज ने यह कदम उठाया. अगर अनिल कुंबले के कोच बनने से लेकर अब तक टीम इंडिया के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं तो देखेंगे कि उनके खेल में जबर्दस्त सुधार हुआ. उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में काम करते हुए टीम को मजबूती दी. ठीक वैसे ही जैसे वह अपने समय में खेल के मैदान पर अंतिम समय तक संघर्ष किया करते थे. कुंबले के कार्यकाल में यही वो चीज़ थी जो दिखाई पड़ती है.'
इसके अलावा कुंबले की इस्तीफे के समय पर सुनील ने कहा कि बीसीसीआई की 'क्रिकेट सलाहकार समिति ने तो उन्हें विस्तार देने की बात कही थी. पिछले 15 दिन से कप्तान कोहली से लेकर उनसे अनबन की खबर जरूर थी. खिलाड़ी कभी यह नहीं कह सकते कि उन्हें उनकी पसंद का कोच चाहिए. खिलाड़ियों की मांग गलत है. खिलाड़ियों को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए. कोच खिलाड़ियों को मैच के लिए तैयार करता है. जिस तरह से भारतीय टीम ने पिछले एक साल से प्रदर्शन किया है, उसे लेकर कोई भी सवाल नहीं उठा सकता.'
कोच के रूप में कुंबले के पद छोड़ने के बाद गास्कर ने कहा, 'इतिहास दिखाता है कि जब भी कोच ने सख्ती बरती, उसके साथ अनबन की खबरें जरूर सामने आई हैं. जब कोई सफल होता है तो कोच के सामने कठिनाइयां खड़ी कर दी जाती हैं. वेस्टइंडीज में टीम इंडिया को बैटिंग कोच संजय बांगर संभाल सकते हैं. लेकिन अगले महीने से श्रीलंका के साथ होने वाली बड़ी सीरीज के लिए भारतीय टीम को एक रेगुलर कोच की जरूरत होगी.'
आपको बता दें कि भारतीय टीम वेस्टइंडीज़ में 5 वनडे और 1 टी20 खेलेगी. जबकि श्रीलंका के खिलाफ अगले महीने से भारत को 3 टेस्ट, 5 वनडे और 1 टी20 खेलना होगा.
अनिल कुंबले ने अपने पद को छोड़ने के बाद एक लंबे लेख में लिखा, 'क्रिकेट सलाहकार समिति(CAC) ने मुझसे हेड कोच के तौर पर अपना कार्यकाल आगे बढ़ाने के लिए कहा था. लेकिन इसके साथ ही मुझे बताया गया कि कप्तान को मेरी कार्यशैली को लेकर परेशानी है. यह जानकर मैं हैरान रह गया क्योंकि कप्तान और कोच की सीमाएं मुझे अच्छी तरह से पता हैं. हालांकि बीसीसीआई ने मेरे और कप्तान के बीच सुलह कराने की कोशिशि की. लेकिन यह स्पष्ट था कि यह साझेदारी आगे नहीं चलने वाली थी. ऐसे में मैंने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा.'