Ranji Trophy में बना इतिहास, पहली बार महिलाओं ने संभाला अंपायरिंग का ज़िम्मा
Ranji Trophy: रणजी ट्रॉफी के इतिहास में पहली बार महिला अंपायर्स मैच में अंपायरिंग कर रही हैं. इसमें वृंदा राठी, जननी नारायण और वेणुगोपलन ने अंपायरिंग में अपना डेब्यू किया.
Ranji Trophy: रणजी ट्रॉफी में 10 जनवरी को एक नया इतिहास रचा गया. इस ट्रॉफी मे पहली बार महिला अंपायरों ने डेब्यू किया. इसमें पूर्व स्कोरर वृंदा राठी, पूर्व सॉफ्टवेयर इंजीनियर जननी नारायण और पूर्व खिलाड़ी गायत्री वेणुगोपलन रणजी ट्रॉफी के इतिहास में पहली बार महिला अंपायर के रूप में दिखाई दीं. इसमें जननी नारायण सूरत में रेलवे और त्रिपुरा के बीच खेले जा रहे मैच में अंपायरिंग कर रही हैं. वहीं वेणुगोपलन जमशेदपुर में छत्तीसगढ़ और झारखंड के बीच खेले जा रहे मैच में अंपायरिंग कर रही हैं. इसके अलावा वृंदा राठी गोवा और पॉण्डिचेरी के बीच चल रहे मैच में अंपायरिंग कर रही हैं.
जननी नारायण ने छोड़ दी थी इंजीनियरिंग
नारायण जननी पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थीं. उन्हें हमेशा से ही क्रिकेट में रुचि थी. वो हमेशा से ही अंपायरिंग में जाना चहाती थीं. इसके लिए उन्होंने तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन से बात की, फिर टीएनसीए ने अपने नियमों में बदलाव के बाद उन्हें अंपायिंग की इजाज़त दी. उन्होंन 2018 में बीसीसीआई लेवल के दो अंपायरिंग टेस्ट पास किए थे. फिर उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ दी और अंपायरिंग में अपना करियर शुरू कर दिया.
वृंदा राठी ने ऐसे की शुरुआत
वृंदा राठी इससे पहले मुंबई के स्थानीय मैचों में स्कोरिंग किया करती थीं. इसके बाद उन्होंने अंपायरिंग में अपना करियर बनाने का ख्वाब देखा. राठी ने बीसीसीआई के स्कोरर का टेस्ट पास किया. इसके बाद उन्होंने 2013 के महिला वर्ल्ड कप में बीसीसीआई की स्कोरिंग की थी.
क्रिकेटर बनना चहाती थीं गायत्री वेणुगोपलन
43 वर्षीय गायत्री वेणुगोपलन हमेशा से ही क्रिकेटर बनना चहाती थीं, लेकिन उनकी कंघे की चोट ने उन्हें अपने इस सपने को पूरा करने से रोका. इसके बाद भी क्रिकेट के लिए उनका प्रेम खत्म नहीं हुआ और उन्होंने अंपायरिंग की ओर अपने कमद बढ़ाए. वेणुगोपलन ने 2019 में बीसीसीआई का अंपायरिंग का टेस्ट पास किया और अपने करियर की शुरुआत की.
ये भी पढ़ें...