जीएस विवेक, एबीपी न्यूज़
2 अक्टूबर से भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ का आगाज़ करने जा रही है. लेकिन उससे पहले जिन दो खिलाड़ियों पर सभी की नज़र है वो कोई और नहीं बल्कि टीम इंडिया के विकेटकपीर बल्लेबाज़ रिषभ पंत और नए टेस्ट ओपनर रोहित शर्मा हैं.
इसके पीछे का कारण ये है कि रिषभ पंत अब तक वनडे और टी20 में उतना कमाल का प्रदर्शन नहीं कर सके हैं, जबकि रोहित शर्मा को अभी टेस्ट में खुद के लिए एक अलग स्थान बनाना है.
इन दोनों ही खिलाड़ियों में कुछ समानताएं भी हैं, जैसे रोहित और पंत की ज़बरदस्त फैन फोलोइंग है. टीम मैनेजमेंट भी चाहता है कि कि ये दोनों ही स्टार दिए गए अपने रोल में खुद को साबित करें और टीम में उस स्थान की भरपाई करें. जैसे की पंत के लिए नंबर 4 और रोहित के लिए पारी की शुरुआत.
खासकर इन दोनों खिलाड़ियों को जिन दो स्थानों के लिए चुना गया है वो भारत की पिछले लंबे समय से बनी रहने वाली समस्या है. वनडे क्रिकेट में नंबर 4 का स्थान और टेस्ट में पारी की शुरुआत, और ऐसे में अगर ये दोनों ही बल्लेबाज़ अपने-अपने इन रोल में कामयाब हो जाते हैं तो फिर ये टीम मैनेजमेंट और चयनसमिति का मास्टर स्ट्रोक माना जाएगा.
लेकिन अगर ये दोनों ही बल्लेबाज़ इस भूमिका में फेल हो जाते हैं तो फिर ये घूमने वाली गेंद और सफेद कूकाबुरा गेंद के सामने उनकी तकनीक की कमी मानी जाएगी.
हर वो पूर्व क्रिकेटर जो ये सोचता है कि वीरेंद्र सहवाग की तरह ही रोहित भी कामयाब हो सकते हैं. लेकिन वो अकसर ये भूल जाते हैं कि भारतीय क्रिकेट में सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज भी रहे हैं जो कि वनडे में शानदार ओपनर रहे हैं. लेकिन वो टेस्ट क्रिकेट में कभी भी कामयाब ओपनर नहीं रहे.
हालांकि रोहित शर्मा के लिहाज़ से ये अच्छा ही है कि बाहर बैठकर ड्रिंक्स सर्व करने से बेहतर है कि वो बतौर ओपनर आज़माए जा रहे हैं. क्योंकि अगर वो इस भूमिका में फेल भी होते हैं तो फिर से वो मिडिल ऑर्डर में भारतीय टीम में आ सकते हैं. जैसे की इंग्लैंड ने एशेज़ में जेसन रॉय के साथ किया था. भारतीय क्रिकेट टीम को भी रोहित के साथ ऐसा ही करना चाहिए. जैसा की उन्होंने हनुमा विहारी के साथ भी किया था.
रोहित शर्मा की वनडे क्रिकेट में सफलता उन्हें टेस्ट क्रिकेट में एक प्रयोग के रूप में नहीं लेने देती है. उनकी उम्र और अनुभव को देखते हुए उनके लिए टेस्ट क्रिकेट में बतौर ओपनर ये मौका करो या मरो वाली स्थिति है, क्योंकि पृथ्वी शॉ बैन के बाद वापसी के इंतज़ार में है. जबकि शुभमन गिल भी बतौर ओपनर अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं.
वहीं दूसरी तरफ रिषभ पंत हैं, जिनके पास अभी उम्र सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है. साथ ही कम प्रतियोगी होना भी उनके लिए बेहद अच्छा है. लेकिन टेस्ट क्रिकेट में स्ट्राइक रोटेट करने की उनकी कमी भी एक बड़ी समस्या है. क्योंकि कई पूर्व खिलाड़ी अब टेस्ट क्रिकेट में रिद्धीमन साहा की वापसी की बात करने लगे हैं. ये हैं इन दोनों खिलाड़ियों के आंकड़े. पंत ने अब तक 11 टेस्ट मैचों में 2 शतक और 2 अर्धशतक जमाए हैं. जबकि उनका औसत भी 47 का है.
वहीं दूसरी तरफ साहा ने 32 मैचों में 3 शतक और 5 अर्धशतक जमाए हैं वो भी 30 के औसत से.
पंत के शुरुआती दिनों में उनकी विकेटकीपिंग स्किल्स की तुलना साहा से होती थी. लेकिन अब उनकी वनडे और टी20 क्रिकेट में बल्लेबाज़ी की विफलता उन्हें परेशानी में डाल रही है. हालांकि पंत की कीपिंग के स्तर में अब काफी सुधार हुआ है जिसकी वजह से उन्हें मौका मिल सकता है, या फिर नहीं भी.
अब टीम मैनेजमेंट टेस्ट क्रिकेट पर बात करने या आज़माने के लिए खिलाड़ियों के वनडे और टी20 के प्रदर्शन को देख रहा है. रोहित और रिषभ आप दोनों को शुभकामनाएं, क्योंकि इन दोनों ही खिलाड़ियों का खेल भारतीय क्रिकेट के लिए बेहद ज़रूरी है.
रोहित और पंत के लिए टेस्ट और वनडे क्रिकेट में 'करो या मरो' की स्थिति है
ABP News Bureau
Updated at:
25 Sep 2019 10:06 PM (IST)
रोहित और पंत के बीच कई समानताए हैं, भारतीय टीम उनके लिए एक स्लॉट में सफल होने के लिए बेहद उत्सुक है, बल्कि उस एक स्लॉट के लिए नहीं जहां पर वो अच्छा प्रदर्शन करते है.
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