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पूर्व चयनकर्ता ने किया खुलासा- गांगुली को उप-कप्तान बनाने में आई थी मुश्किलें, कप्तानी में भी उनसे पहले थे 2 नाम
गांगुली ने 2000 में कप्तानी की शुरुआत की और अपनी कप्तानी में पहले ही बड़े टूर्नामेंट आईसीसी नॉकआउट 2000 में भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचाया था.
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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली की गिनती भारत समेत दुनिया के सबसे बेहतरीन क्रिकेट कप्तानों में होती है. 2000 से 2005 के बीच भारतीय टीम के कप्तान रहे गांगुली के नेतृत्व में भारतीय टीम ने मुश्किल हालातों से बाहर निकलकर विश्व क्रिकेट में अपनी जगह मजबूत की थी. हालांकि, गांगुली का कप्तान बनने से पहले, उनको टीम का उप-कप्तान बनाने का भी विरोध हुआ था. पूर्व भारतीय क्रिकेटर अशोक मल्होत्रा ने बताया है कि गांगुली इस काम के लिए पहली पसंद नहीं थे.
उस दौरान भारत की चयन समिति का हिस्सा रहे मल्होत्रा ने कहा है कि गांगुली को टीम का उप-कप्तान बना पाना बेहद मुश्किल था और इसको लेकर चयन समिति की बैठक में काफी चर्चा हुई.
'कोच ने कहा था- काफी कोक पीता है'
स्पोर्ट्सकीड़ा वेबसाइट से बात करते हुए मल्होत्रा ने कहा, “अगर मुझे सही से याद है तो गांगुली को उप-कप्तान बनाना मुश्किल काम था. कलकत्ता में हुई बैठक में हमने उसे चुना था लेकिन कोच कह रहे थे- ‘ये काफी कोक पीता है, सिंगल लेता है लेकिन डबल नहीं लेता.’ इसके बदले मैंने कहा कि थम्स अप पीने से वो उप-कप्तान बनने के लिए अयोग्य नहीं हो जाता.”
मल्होत्रा ने बताया कि इस पर काफी चर्चा हुई और 3-2 के वोट से गांगुली को उप-कप्तान बनाने का फैसला हुआ, लेकिन फिर बोर्ड अध्यक्ष मीटिंग में आए और उन्होंने कहा कि फिर से विचार करना चाहिए. उन्होंने बताया, “हम 2 लोग अपनी पसंद पर डटे हुए थे, लेकिन एक चयनकर्ता ने कहा, ‘नहीं, अध्यक्ष ने कहा है तो मैं उनके साथ जाउंगा’ इसलिए हमने गांगुली को उप-कप्तान नहीं बनाया.”
'कई लोगों को समझाना पड़ा था'
हालांकि मल्होत्रा ने कहा कि किसी को भी ये अंदाजा नहीं था कि गांगुली कप्तान बनेंगे क्योंकि सचिन टीम के कप्तान थे. मल्होत्रा ने बताया, “जब सचिन ने इस्तीफा दिया तो गांगुली को कप्तान बनाने के लिए हमें सबको समझाना पड़ा क्योंकि उस वक्त गांगुली से पहले अनिल कुंबले और अजय जडेजा लाइन में थे. मुझे काफी काम करना पड़ा था.”
गांगुली ने 2000 में कप्तानी की शुरुआत की और अपनी कप्तानी में पहले ही बड़े टूर्नामेंट आईसीसी नॉकआउट 2000 में भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचाया. खुद गांगुली का प्रदर्शन इस टूर्नामेंट में शानदार रहा था. हालांकि टीम को फाइनल में न्यूजीलैंड से हारना पड़ा था. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 की यादगार सीरीज जीत के साथ ही गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने अपने दमखम की शुरुआत की थी.
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