एक्सप्लोरर
Advertisement
अरुण जेटली को पिता तुल्य बताते हुए गौतम गंभीर ने दी भावुक श्रद्धांजलि
अरुण जेटली के निधन पर दिल्ली के पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने भी शोक व्यक्त किया है.
पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता अरुण जेटली का आज लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया. पूर्व वित्तमंत्री के निधन से दिल्ली के क्रिकेटर्स को भी गहरा झटका लगा है. दिल्ली के लिए खेलते हुए भारतीय टीम तक पहुंचे कई क्रिकेटर्स ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. अरुण जेटली साल 1999 से 2013 के बीच दिल्ली और डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे.
अरुण जेटली के निधन पर दिल्ली के पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने भी शोक व्यक्त किया है. गंभीर ने ट्वीट में जेटली जीत को पिता तुल्य बताया.
पूर्व दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर ने ट्वीट में कहा, ''पिता आपको बोलना सिखाते हैं लेकिन पिता-तुल्य इंसान आपको बात करना सिखाते हैं. एक पिता आपको चलना सिखाते हैं, जबकि एक पिता जैसा आपको कूच करना सिखाता है. पिता आपको नाम देता है लेकिन एक पिता-तुल्य इंसान आपको पहचान दिलाता है. मैंने आज अपने पितातुल्य इंसान अरुण जेटली जी को खो दिया. RIP सर.''
गौतम गंभीर भी दिल्ली के उन क्रिकेटर्स में शुमार थे, जिन्होंने अरुण जेटली के प्रेसिडेंट रहते हुए दिल्ली की टीम से खेलने का मौका मिला. वहीं उनके अध्यक्ष रहते हुए ही गंभीर भी भारतीय टीम तक पहुंचे और अपने कई आयाम बनाए. गौतम गंभीर बाद में अरुण जेटली की ही पार्टी भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़े और पूर्व दिल्ली से मोदी सरकार में सांसद भी चुने गए.A father teaches u to speak but a father figure teaches u to talk. A father teaches u to walk but a father figure teaches u to march on. A father gives u a name but a father figure gives u an identity. A part of me is gone with my Father Figure Shri Arun Jaitley Ji. RIP Sir.
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) August 24, 2019
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, स्पोर्ट्स और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
जम्मू और कश्मीर
तमिल सिनेमा
हेल्थ
Advertisement
प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
Opinion