अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद पूरी दुनिया में नस्लभेद को लेकर बहस छिड़ी हुई है. टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान ने नस्लभेद को लेकर छिड़ी बहस को और आगे बढ़ाया है. पठान का कहना है कि ना सिर्फ त्वचा के रंग के आधार पर बल्कि अलग आस्था के आधार पर भी भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.


पठान ने सोशल मीडिया के जरिए नस्लभेद पर चल रही बहस पर अपनी बात रखी है. पठान ने कहा, ''नस्लभेद सिर्फ त्वचा के रंग से जुड़ा हुआ ही नहीं है. जब आपको अलग आस्था रखने पर किसी सोसाइटी में घर नहीं मिलता है तो वह अभी एक तरह का नस्लभेद ही है.''



वैसे क्रिकेट में नस्लभेद को लेकर बहस डैरेन सैमी के बयान से शुरू हुई. डैरेन सैमी ने हाल ही में कहा था कि आईपीएल में खेलने के दौरान उन्हें 'कालू' नाम से बुलाया जाता था. सैमी ने बताया कि पहले उन्हें इस शब्द का मतलब नहीं पता था. लेकिन अब मतलब जानने के बाद सैमी ने उन्हें इस नाम से बुलाने वाले पुराने साथियों से जवाब मांगा है.


इससे पहले इरफान पठान ने कहा था, ''दक्षिण भारत के खिलाड़ी जब नॉर्थ इंडिया या फिर वेस्ट इंडिया में घरेलू क्रिकेट खेलने जाते हैं तो उन्हें निशाने पर लिया जाता है.'' पठान ने इसकी एक वजह घरेलू क्रिकेट के दौरान कम दर्शकों का होना बताई है. उन्होंने कहा, ''जब घरेलू क्रिकेट खेलते हैं तो कम दर्शकों के बीच कोई ऐसा मिल जाता है जो चर्चा में आना चाहता है. इसी चाह में इंसान शब्दों की सीमा लांघ जाता है.''


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