भारतीय क्रिकेट इतिहास में ग्रेग चैपल का चैप्टर हमेशा सुर्खियों में रहा है. चैपल को भारतीय टीम का कोच बनाने के सबसे बड़े पैरोकार उस वक्त के कप्तान सौरव गांगुली ने एक बार फिर चैपल मामले में अपना पक्ष रखा है. अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’’ में गांगुली ने लिखा है कि उन्होंने 2005 में ग्रेग चैपल को कोच बनाने के समय ग्रेग के भाई इयान चैपल और भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर की चेतावनियों को नजरअंदाज किया था.



किताब के अनुसार गांगुली ने चैपल की नियुक्ति को लेकर अपनी अंतररात्मा की आवाज पर विश्वास किया. चैपल की कोच पद पर नियुक्ति से पहले गांगुली ने उनकी मदद ली थी. यहां तक वह 2003 के ऑस्ट्रेलिया दौर से पहले वहां के मैदानों की जानकारी लेने तथा खुद की और अपने साथियों की तैयारियों के सिलसिले में गोपनीय दौरे पर भी गए थे. उन्होंने चैपल से संपर्क किया क्योंकि उनका मानना था कि उनके मिशन में मदद करने के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति होंगे.

इन दौरों के बाद गांगुली चैपल के क्रिकेट ज्ञान से काफी प्रभावित हुए. गांगुली को तब पता नहीं था कि यह साथ उस दौर का सबसे विवादास्पद साथ बन जाएगा.

ग्रेग की नियुक्ति के बारे में इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि 2004 में जब जॉन राइट की जगह पर नए कोच की नियुक्ति पर चर्चा हुई तो उनके दिमाग में सबसे पहला नाम चैपल का आया.

उन्होंने लिखा, ‘‘मुझे लगा कि ग्रेग चैपल हमें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में नंबर एक तक ले जाने के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति होंगे. मैंने जगमोहन डालमिया को अपनी पसंद बता दी थी. ’’

गांगुली ने कहा, ‘‘कुछ लोगों ने मुझे ऐसा कदम नहीं उठाने की सलाह दी थी. सुनील गावस्कर भी उनमें से एक थे. उन्होंने कहा था सौरव इस बारे में फिर से सोचो. उसके (ग्रेग) साथ रहते हुए तुम्हें टीम के साथ दिक्कतें हो सकती हैं. उसका कोचिंग का पिछला रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा नहीं रहा है.’’

उन्होंने कहा कि डालमिया ने भी एक सुबह उन्हें फोन करके अनिवार्य चर्चा के लिये अपने घर पर बुलाया था.

गांगुली ने कहा, ‘‘उन्होंने विश्वास के साथ यह बात साझा की कि यहां तक उनके (ग्रेग के) भाई इयान का भी मानना है कि ग्रेग भारत के लिए सही पसंद नहीं हो सकते हैं. मैंने इन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज करने का फैसला किया और अपनी अंतररात्मा की आवाज सुनी. ’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद जो कुछ हुआ वह इतिहास है. लेकिन यही जिंदगी है. कुछ चीजें आपके अनुकूल होती हैं जैसे कि मेरा ऑस्ट्रेलिया दौरा और कुछ नहीं जैसे कि ग्रेग वाला अध्याय.मैंने उस देश पर जीत दर्ज की लेकिन उसके एक नागरिक पर नहीं.’’