भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी शांताकुमारन श्रीसंत ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में एक बार फिर से स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने की बात को नकारा. श्रीसंत ने कहा कि वह बीसीसीआई के सामने 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग में शामिल नहीं होने के लिए जिद पर अड़े थे. श्रीसंत ने अपनी बात साबित करने के लिए रिकॉर्ड हुई बातचीत का हवाला दिया है.


टेलीफोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिग का हवाला देते हुए श्रीसंत ने बीसीसीआई द्वारा उनके ऊपर लगाए गए आजीवन बैन को चुनौती दी है. श्रीसंत के मुताबिक, रिकॉर्डिग में उन्होंने कहा है, "मैं जिद्दी हूं और कुछ भी नहीं होगा."


श्रीसंत ने 30 जनवरी को पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया था कि सट्टेबाजों ने उन्हें स्पॉट फिक्सिंग में घसीटने की कोशिश की थी, लेकिन वह इसमें फंसे नहीं थे.


श्रीसंत का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील सलमान खुार्शीद ने पीठ को बताया कि प्राथमिक जांच की रिपोर्ट उन्हें नहीं दी गई. इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि उनके पास अन्य सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट पहुंची थी.


खुर्शीद ने कहा कि उनके पास रिपोर्ट थी, लेकिन बीसीसीआई द्वारा उन्हें यह नहीं बताया गया था कि रिपोर्ट का कौन-सा हिस्सा उनके खिलाफ था.


कोर्ट को बताया गया कि किसी भी स्तर पर बीसीसीआई ने उनसे यह नहीं पूछा था कि कथित सामग्री के बारे में उनका क्या कहना है, जिसमें उनके खिलाफ कथित तौर पर 10 लाख रुपये की पेशकश शामिल है.


इस पर श्रीसंत ने कहा, "मेरे ऊपर गंभीर आरोप लगाए गए थे. मुझे सबसे गंभीर अपराध का दोषी ठहराया गया, लेकिन सबूत का स्तर कम से कम गंभीर अपराध वाला है."


श्रीसंत ने बीसीसीआई द्वारा अपने ऊपर लगाए गए आजीवन बैन को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. केरल हाई कोर्ट ने भी बीसीसीआई के फैसले को बरकरार रखा था.