नई दिल्ली: गली...गेंद...बल्ला...क्रिकेट...मैदान...हुजूम...शोर...दीवानगी...भारत और सचिन...सचिन!!! जी हां ये एक नाम नहीं एक भावना है जो देश के करोड़ों क्रिकेटप्रेमियों की रगों में दौड़ती है. सचिन चुप तो पूरा देश चुप और सचिन गरजे तो मैदान क्या देश के कोने-कोने, गली मोहल्ले में एक जश्न एक दीवाली होगी. 1989 से 2013 के 24 सालों के इस लंबे सफर ने मानो एक 5.4 फीट कद वाले घुंघरालू बालों वाले लड़के के इर्दगिर्द भारतीय क्रिकेट की पूरी कहानी लिख डाली.


क्रिकेट जगत के भगवान सचिन तेंदुलकर आज अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं, लेकिन क्रिकेट को अलविदा कहे 9 सालों बाद आज भी हर क्रिकेटप्रेमी उनके इस खास दिन को इस तरह से याद कर रहा है जैसे वो अब भी क्रिकेट के मैदान पर हों.


आइये सचिन के जीवन के इस खास मौके पर हम आपको बताते हैं वो 8 बातें जिन्हें जानने के बाद आपको लगेगा, 'बड़ी मेहनत और लगन से संजोया गया एक ख्वाब हैं सचिन!!!'


1. सचिन के पिता चाहते थे क्रिकेटर से बेहतर इंसान बनें सचिन


फिल्म 'ए बिलियन ड्रीम' की शुरूआत में सचिन खुद बताते हैं कि उनके पिता ने उनसे कहा था कि 'तुमने क्रिकेट को चुना है लेकिन आखिर में तुम्हारे साथ जो बात रहेगी वो ये है कि तुम इंसान कैसे हो, और मुझे इससे ज्यादा खुशी मिलेगी अगर तुम एक बेहतर इंसान बन सको.'


2. मां से नहीं बड़े भाई नितिन तेंदुलकर से डरते थे सचिन


सचिन बचपन में अपने बड़े भाई नितिन तेंदुलकर से डरते थे. एक सीन में सचिन घर के बाहर बच्चों के साथ खेल रहे होते हैं और उनकी मां उन्हें आवाज़ देती है लेकिन वो नहीं सुनते. इसके बाद जैसे ही सचिन के भाई नितिन तेंदुलकर पुकारते हैं '..सचिन...'. वैसे ही सचिन तुरंत दौड़े घर में चले आते हैं.


3. बहन सविता कश्मीर से पहला बैट लाई


क्रिकेट की किताबों के सबसे बड़े नाम सचिन तेंदुलकर ने अपने बल्ले के दम पर 100 शतक लगाए इसके साथ ही उन्होंने तमाम कीर्तिमान छुए. लेकिन सचिन का वो पहला बैट उनकी बहन ने दिया जिसके बाद सचिन इस खेल के दीवाने बन गए. कश्मीर ट्रिप से वापस आई सचिन की बहन सविता घर के हर सदस्य के लिए कुछ तोहफा लाती है. जिसमें सचिन के लिए उपहार के तौर पर उनका पहला बैट आता है.


4. नेट्स से दूर गए आचरेकर सर तब जाकर 'तेंदुलकर बने सचिन'


सचिन तेंदुलकर के पहले क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर रहे. जिनके पास सचिन को ले जाने वाले और उनके अंदर छुपी प्रतिभा को पहचानने वाले शख्स सचिन के बड़े भाई अजीत तेंदुलकर थे. जब पहली बार अजीत, सचिन को आचरेकर सर के पास लेकर जाते हैं तो सचिन उनके सामने बल्लेबाज़ी करते हैं लेकिन वो अपने बल्ले से कोई कमाल नहीं कर पाते.


जिसके बाद अजीत आचरेकर सर से कहते हैं कि सचिन उन्हें सामने देखकर नर्वस हो रहा है और आप थोड़ी देर के लिए नेट्स से दूर चले जाइये. जिसके बाद सचिन देखते हैं कि आसपास आचरेकर सर नहीं है और फिर सचिन जमकर बल्लेबाज़ी करते हैं. जिससे आचरेकर सर प्रभावित होते हैं.


कोचिंग के दौरान आचरेकर सर, सचिन को एक दिन में दो अलग-अलग मैच खिलाने ले जाते थे और प्रेक्टिस के दौरान सचिन के इर्द-गिर्द 80 फील्डर तैनात कर देते थे. सचिन को उनसे आउट होने से बचना होता था जिसके लिए सचिन ज्यादा से ज्यादा ग्राउंड शॉट खेलते थे.


5. 'बॉलर चाची' ने करवाई बैकफुट डिफेंस की तैयारी


घर से प्रेक्टिस ग्राउंड की दूरी ज्यादा होने की वजह से सचिन कुछ समय के लिए अपने चाचा-चाची के घर रहने गए जहां से उनका मैदान 2 मिनट की दूरी पर था. वो अक्सर अपनी चाची मंगला तेंदुलकर से घर पर प्रेक्टिस करने के लिए कहते थे. उनकी चाची बॉल कराती थीं और सचिन अपने बैकफुट शॉट्स में सुधार करते थे.


6. रात 2 बजे लंदन में मिली पिता की मौत की खबर


मोहम्मद अज़हरूद्दीन की कप्तानी में साल 1999 में भारतीय टीम इंग्लैंड में विश्वकप खेलने गई. लेकिन वर्ल्डकप में जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच से पहले रात 2 बजे अंजलि ने टीम होटल में आकर सचिन को उनके पिता के निधन की जानकारी दी. जिसके बाद सचिन सीधे मुंबई वापस लौट गए. लेकिन पिता का अंतिम संस्कार कर घरवालों की सलाह पर सचिन वापस लंदन टीम के साथ जुड़ने के लिए पहुंच गए.


7. सचिन-अंजली की क्यूट लव स्टोरी


भारतीय टीम 1990 में इंग्लैंड टूर से वापस आ रही थी, उस दौरे पर सचिन भारत के लिए सबसे कम उम्र में शतक लगाने वाले बल्लेबाज़ भी बने थे. एयरपोर्ट पर अपनी मां को रिसीव करने आई अंजलि ने सचिन को देखा और वो उन्हें बहुत क्यूट भी लगे. तभी से वो उनको बहुत पसंद करने लगी थीं. वो न्यूजपेपर में से सचिन की फोटो के कट-आउट रखती थीं. अंजली तब एक कॉलेज स्टूडेंट थीं. वो इन फोटो को अपनी किताबों में रखती थीं ताकि वो जब भी किताब खोलें तो ये तस्वीरें देख सकें.


8. अर्जुन की तारीफ से खुद को और दूसरो को रोकते हैं सचिन


अंडर 16 में साल 2015 में शतक लगाकर सुर्खियों में आए अर्जुन तेंदुलकर को लेकर सचिन बहुत सतर्क रहते हैं. खासकर सचिन खुद और किसी को भी उनकी तारीफ करने से रोकते हैं. अर्जुन के शतक लगाने के बाद एक बार भारतीय खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार सचिन के घर आए तो सचिन ने उन्हें अर्जुन की तारीफ करने से रोक दिया.