(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हार्दिक पांड्या को लेकर बीसीसीआई के तेवर सख्त क्यों नहीं हैं?
ईशान किशन की तरह हार्दिक पांड्या भी रणजी ट्रॉफी नहीं खेल रहे हैं. लेकिन दोनों खिलाड़ियों को लेकर बीसीसीआई का रवैया अलग-अलग है.
हार्दिक पांड्या के रणजी नहीं खेलने पर बीसीसीआई की ओर से सख्त तेवर क्यों नहीं उठाया जाता है? यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि बीसीसीआई की ओर से रणजी ट्रॉफी नहीं खेलने वाले टीम इंडिया के खिलाड़ियों पर नकेल कसने का फैसला किया गया है. लेकिन हार्दिक पांड्या को लेकर बीसीसीआई का रुख नरम ही रहा है. हालांकि बीसीसीआई ने इस मामले पर सफाई भी पेश की है. बीसीसीआई का कहना है कि हार्दिक पांड्या की फिटनेस को ध्यान में रखते हुए उन्हें राहत दी गई है.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बीसीसीआई के अधिकारी ने कहा, ''कई खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी की बजाए आईपीएल को तवज्जो दे रहे हैं. आगे से इन खिलाड़ियों के लिए रणजी ट्रॉफी में तीन से चार मैच खेलना अनिवार्य होगा. लेकिन हार्दिक पांड्या का मामला अलग है. हार्दिक की बॉडी टेस्ट मैच खेलने के लिए फिट नहीं है. टीम इंडिया को हार्दिक पांड्या की जरूरत है. हम आईसीसी इवेंट्स में हार्दिक पांड्या को खेलते हुए देखना चाहते हैं.''
किशन से शुरू हुआ सारा विवाद
बता दें कि इस पूरे विवाद की शुरुआत ईशान किशन से हुई है. ईशान किशन के सामने टीम इंडिया में वापसी करने के लिए रणजी ट्रॉफी में खेलने की शर्त रखी गई थी. लेकिन किशन ने इस शर्त को इग्नोर कर दिया और झारखंड की ओर से एक भी रणजी मैच में हिस्सा नहीं लिया. इसके बाद किशन के आईपीएल के लिए गुजरात में प्रैक्टिस करने की जानकारी भी सामने आई.
किशन की इस हरकत के बाद बीसीसीआई सख्ते में आ गया है. बीसीसीआई का कहना है कि अगर खिलाड़ी टीम इंडिया के लिए नहीं खेल रहे हैं तो फिर उन्हें घरेलू टूर्नामेंट में हिस्सा लेना ही होगा. बीसीसीआई की ओर से जल्द ही इस बारे में नियम भी लाया जा सकता है. इस नियम में खिलाड़ियों के लिए रणजी ट्रॉफी के चार से पांच मैच खेलना अनिवार्य हो सकता है.