भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) ने जनवरी 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना डेब्यू किया था. एक इंटरव्यू में पांड्या ने बताया कि उन्हें अपने डेब्यू मैच में लगा था कि उनका करियर खत्म हो गया. लेकिन धोनी ने उनपर भरोसा दिखाया और उन्होंने भी अपने कप्तान को गलत साबित नहीं किया.
ब्रेकफास्ट विथ चैम्पियन में हार्दिक पांड्या ने कहा, "मैंने एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेला था. अपने पहले मैच के पहले ही ओवर में मैंने 21 रन दे दिए थे. उस वक्त मुझे लगा कि मेरा करियर खत्म हो गया. मेरे सामने अंधेरा छा गया था. जिंदगी में पहली बार मैं ब्लैंक हो गया था."
उन्होंने आगे कहा, "मेरे पास कोई जवाब नहीं था. लेकिन इसके बावजूद धोनी भाई ने मुझे बुलाया और कहा कि ये ले दूसरा ओवर डाल. एक समय 1.1 ओवर में मैं 28 रन दे चुका था. लेकिन धोनी को मुझ पर भरोसा था. और मैंने अगले दो ओवर में सिर्फ 6-7 रन दिए और दो विकेट लिए."
पांड्या आगे बताते हैं कि मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में धोनी ने कहा था कि उन्हें पता था कि पहला ओवर डालने के बाद वह बेहतरीन गेंदबाजी करेगा.
पहले मैच में ही पांड्या पर लगा था जुर्माना
अपने पहले मैच में पांड्या ने क्रिस लिन का पहला विकेट लिया था. इसके बाद वह अजीब तरीके से चिल्ला दिए थे. विकेट लेने के बाद खुशी मनाने का यह तरीका कप्तान धोनी को भी पसंद नहीं आया था. और धोनी ने पांड्या को एक खास सलाह दी थी, जिसके बाद पांड्या ने दोबारा ऐसा न करने का वादा भी किया था. हालांकि, पांड्या पर आईसीसी ने कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था और उनपर जुर्माना लगा था. डेब्यू मैच में जुर्माना देने वाले पांड्या विश्व के पहले खिलाड़ी हैं.
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