VJD Method Himachal Pradesh Won Vijay Hazare Trophy 2021-22: हिमाचल प्रदेश क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया. उसने विजय हजारे ट्रॉफी 2021 के फाइनल में तमिलनाडु को हराकर ट्रॉफी अपने नाम की. यह पहली बार है जब हिमाचल इस टूर्नामेंट का चैंपियन बना है. फाइनल में शुभम अरोड़ा और अमित कुमार की शानदार पारियों ने जीत में बड़ी भूमिका निभाई. हिमाचल को वीजेडी मैथड के जरिए विनर डिक्लेयर किया गया है. वीजेडी मैथड क्या है, यहां हम आपको विस्तार से बताते हैं...


दरअसल वीजेडी मैथड बारिश से प्रभावित होने वाले लिमिटेड ओवर्स के क्रिकेट मैचों में टारगेट स्कोर को कैलकुलेट करने की एक विधि है, जिसे केरल के एक सिविल इंजीनियर वी.जयदेवन ने तैयार किया था. यह एक ऐसी विधि है जो DLS (डकवर्थ, लुईस और स्टर्न) मैथड का एक विकल्प है। वीजेडी मैथड का इस्तेमाल इससे पहले इंडियन क्रिकेट लीग और तमिलनाडु प्रीमियर लीग (टीएनपीएल) में इस्तेमाल किया गया था. आईपीएल के चौथे और पांचवें सीज़न में इसका इस्तेमाल किया गया था.


वीजेडी मैथड में एक पारी के ओवरों को सात फेज में बांटा गया है. इसका पहला फेज 5 ओवरों का होता है. इसे वीजेडी मैथड का 10 प्रतिशत माना जाता है. दूसरे फेज में 6 से 15 ओवरों तक की कैलकुलेशन होती है. यह इस मैथड का 20 प्रतिशत हिस्सा होता है. इसका तीसरा फेज 16 से 25 ओवर के बीच का है. इसे स्थिरता के लिए माना जाता है. चौथे फेज में 26 से 30 ओवर होते हैं. इसमें टीमें स्टेबल हो कर खेलती हैं. पांचवां फेज 31 से 40 ओवर का होता है. इस फेज में टीमें स्कोर बढ़ाने के लिए तेजी से खेलती हैं और यह भी 20 प्रतिशत गिना जाता है. इसके छठे फेज में 41 से 45 ओवर होते हैं और आखिरी फेज में 46-50 ओवरों की गिनती होती है. यह फाइनल स्लॉग कहा जाता है. 


इस तरह से 7 फेजों के आधार पर मैच में बारिश या किसी और वजह से खेल रुकने पर रनों के प्रतिशत और ओवरों के प्रतिशत को कैलकुलेट किया जाता है. वीजेडी मैथड तो 7 फेजों में है, लेकिन डीएलएस अलग तरह से कैलकुलेट करता है. इसमें धीमी गति और आखिरी 10 से 15 ओवरों को स्लॉग के रूप में माना जाता है. डकवर्थ लुइस नियम सिंगल कर्व पर बना है. जबकि वीजेडी मैथड को दो अलग-अलग कर्व से मापा जाता है. कई कारणों की वजह से ही जानकार डीएलएस से वीजेडी मैथड को ज्यादा बेहतर मानते हैं.


बता दें कि वीजेडी मैथड पिछले खेलों के आंकड़ों को ध्यान में रखता है. डीएलएस मैथड टीमों की प्रतिष्ठा या उनके हाल के स्वरूप को ध्यान में नहीं रखती है. डीएलएस मैथड यह मानता है कि जैसे-जैसे पारी आगे बढ़ती है, टीमों की स्कोरिंग दर बढ़ती रहती है, और उसी के अनुसार लक्ष्य स्कोर तय करती है. हालाँकि, यह अक्सर सही नहीं पाया गया है क्योंकि टीमें हमेशा अपने स्ट्राइक रेट को गए ओवरों की संख्या के सीधे अनुपात में नहीं बढ़ाती हैं. इसके परिणामस्वरूप, जब डीएलएस प्रणाली का पालन किया जाता है, तो अनुमानित स्कोर में अक्सर अचानक बदलाव की जरूरत होती है.