नई दिल्ली: न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में अगर आप रोहित शर्मा को ‘विलेन’ बनाने की सोच रहे हैं तो जरा ठहरिए. उनकी नाकामी ऐसी वैसी नहीं है, उनकी नाकामी में एक ‘मिस्ट्री’ है. रोहित शर्मा की आलोचना से पहले उस ‘मिस्ट्री’ पर से परदा हटाने की कोशिश करते हैं. जिसके लिए हमें सबसे पहले उनके हालिया रिकॉर्ड्स पर नजर डालनी होगी.



उन रिकॉर्ड्स को जान लेते हैं फिर कहानी को आगे बढ़ाएंगे. पिछले 10 वनडे मैचों में रोहित शर्मा ने 2 शतक लगाए हैं. दोनों शतक ऑस्ट्रेलिया में बनाए हैं. उसी सीरीज में रोहित एक मैच में सिर्फ एक रन से शतक बनाने से चूके भी थे. यानि पिछले 10 मैचों में उनके खाते में 2 शतक और एक अर्धशतक है. पिछले 20 मैचों की बात कर लेते हैं. पिछले 20 मैचों में उनके खाते में 4 शतक और 3 अर्धशतक हैं.



पिछले 30 मैचों की बात कर लेते हैं. पिछले 30 वनडे मैचों में उन्होंने 6 शतक लगाए हैं. इसमें से 3 शतक ऐसे हैं जब उन्होंने 150 से ज्यादा रनों की पारी खेली हैं. इसमें 264 रनों की उनकी पारी भी है, जो वनडे क्रिकेट के इतिहास की सबसे बडी पारी है. इसके अलावा पिछले 30 वनडे मैचों में उनके खाते में 6 अर्धशतक भी हैं. यानि औसतन हर चौथे पांचवे मैच में रोहित शर्मा ने एक सैकड़ा जड़ा है. वो भी बड़ा सैकड़ा. अब इन रिकॉर्ड्स को जानने के बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज की बात करते हैं क्योंकि किसी भी खेल में मौजूदा फ़ॉर्म  मायने रखती है.



सीरीज में बुरी तरह फ्लॉप हैं रोहित शर्मा



  



न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए चारों मैचों को मिलाकर रोहित शर्मा ने कुल 53 रन बनाए हैं. उन्होंने धर्मशाला में 14 , दिल्ली में 15, मोहाली में 13 और रांची में 11 रन बनाए. उनकी इस बुरी फॉर्म का असर मैचों के नतीजे पर भी पड़ा. भारत सीरीज के दो मैच हार गया. 4 मैचों के बाद फिलहाल वनडे सीरीज 2-2 की बराबरी पर है.



इसी नतीजे के दम पर टेस्ट सीरीज गंवाने वाली न्यूजीलैंड की टीम वनडे सीरीज में जीत हासिल करने के सपने भी देख रही है. इन 4 मैचों में रोहित शर्मा 2 बार एलबीडब्लयू हुए हैं और 2 बार विकेटकीपर को कैच देकर पवेलियन लौटे हैं. उनकी बल्लेबाजी को देखकर साफ समझ आ रहा है कि कहीं ना कहीं उन्हें ‘एडजस्टमेंट’ में दिक्कत आ रही है. वो गेंद को ‘मेरिट’ के आधार पर खेलने में नाकाम रहे हैं.



‘एक्सेकटेशन’ और ‘एडजस्टमेंट’ के बीच का शिकार हैं रोहित शर्मा



ये बात हर कोई जानता है कि रोहित शर्मा में काबिलियत कूट कूट कर भरी है. उन्हें सबसे ‘टैलेंटेड’ खिलाड़ी माना जाता है. बावजूद इसके रोहित शर्मा के करियर पर ये दाग हमेशा रहा है कि वो टेस्ट क्रिकेट में खुद को साबित नहीं कर पाए. करियर के पहले दोनों टेस्ट मैचों में शतक लगाने के बाद भी टेस्ट टीम में उनकी जगह हमेशा ‘टेंपरेरी’ ही रही.



ऐसा इसलिए क्योंकि उसके बाद उनके बल्ले से रनों का निकलना बड़ा अनिश्चित रहा है. इसीलिए अब तक उन्होंने सिर्फ 21 टेस्ट मैच ही खेले हैं. दिलचस्प बात ये है कि दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के खिलाफ पिछली दो सीरीज में खराब फॉर्म के बाद भी विराट कोहली ने रोहित शर्मा को न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मौका दिया.



विराट ने रोहित शर्मा पर ना सिर्फ भरोसा जताया बल्कि उन्हें उनका रोल भी समझाया. नतीजा न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के तीनों मैचों में रोहित शर्मा ने अच्छी बल्लेबाजी की. उन्होंने तीनों टेस्ट मैचों में हाफ सेंचुरी लगाई. टेस्ट सीरीज में उन्होंने करीब 80 की औसत से कुल 238 रन बनाए.  



कप्तान बदला, रोल बदला और बदल गई किस्मत



टेस्ट सीरीज के बाद वनडे सीरीज शुरू हुई. टेस्ट सीरीज में मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करने वाले रोहित शर्मा को वनडे फॉर्मेट में पारी की शुरूआत करनी थी. उनका रोल अब बदल चुका था. अब उन्हें भारतीय टीम की बल्लेबाजी की दशा दिशा तय करनी थी. इसके अलावा वनडे टीम की कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी के हाथ में है. यानि टेस्ट क्रिकेट के मुकाबले यहां ना सिर्फ फॉर्मेट बदला बल्कि कप्तान भी बदला.



कप्तान के बदलते ही रणनीति का बदलना स्वाभाविक है. बदली हुई रणनीति में किसी एक खिलाड़ी के रोल का बदलना भी स्वाभाविक ही है. ऐसा लगता है कि रोहित शर्मा इन्हीं बदलावों में ‘एडजस्टमेंट’ नहीं कर पा रहे हैं.



मौजूदा सीरीज में उनकी बल्लेबाजी में साफ तौर पर दिख रहा है कि वो अपनी स्वाभाविक बल्लेबाजी नहीं कर पा रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट के बाद वनडे क्रिकेट में बल्लेबाजी के वक्त खुद में जो बदलाव लाने होते हैं उसमें रोहित बुरी तरह नाकाम रहे हैं. उनके समकालीन खिलाडियों में विराट कोहली ने यही काम बखूबी किया है. उन्होंने टेस्ट सीरीज के आखिरी मैच में शानदार दोहरा शतक लगाया था.



इसके बाद उन्होंने वनडे सीरीज में भी शतक लगाया. कहीं ऐसा तो नहीं कि दोनों कप्तानों की अपेक्षाओं के बोझ में रोहित शर्मा ‘कन्फ्यूज’ हो रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि टेस्ट क्रिकेट में अपनी उपयोगिता को साबित करने की जिद रोहित शर्मा की ‘बैटिंग स्टाइल’ पर उलटा असर डाल रही है. इन सवालों का जवाब रोहित शर्मा के पास ही है.