इंग्लैंड दौरे पर गई भारतीय क्रिकेट टीम पांच टेस्ट मैचों सीरीज में 3-1 से पिछड़ रही है. सीरीज का आखिरी मुकाबला 7 सितंबर को ओवल के मैदान पर खेला जाएगा. इंग्लैंड पहले ही सीरीज अपने नाम कर चुका है. ऐसे में आखिरी टेस्ट मात्र एक औपचारिकता भर रह गई है.


इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. खास तौर से भारत के टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज इस दौरे पर पूरी तरह से नाकाम साबित हुए है.


ऐसे में कप्तान विराट कोहली की अगुआई वाली टीम पर अब सवाल उठने लगा है कि इस तरह की बल्लेबाजी के साथ विदेशी दौरों पर टीम कैसे बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी. इंग्लैंड के बाद भारतीय टीम को नवम्बर में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाना है.


विदेशी दौरे पर लगातार विफल हो रहे टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजी ने कप्तान विराट कोहली के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. भारत के लिए यह मुश्किल ओपनर बल्लेबाज की है. इंग्लैंड दौरे पर कप्तान विराट कोहली अबतक खेले गए चार मैचों में तीन ओपनर बल्लेबाजों को आजमा चुके हैं लेकिन तीनों में से एक भी भारत को ठोस शुरूआत दिलाने में नाकामयाब रहे.


टेस्ट मैचों में भारत के लिए स्थापित ओपनर बल्लेबाज शिखर धवन का प्रदर्शन इस दौरे पर बेहद निराश करने वाला रहा है. घरेलू मैदान पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले शिखर धवन ने साल 2018 में अबतक पांच टेस्ट मैचों में बल्लेबाजी की है. इन पांच टेस्ट मैचों में धवन का बल्ला खामोश रहा है. धवन ने इस साल खेले गए पांच टेस्ट मैचों में 33 की औसत से 297 रन बनाए हैं.


धवन के लिए साल की शुरूआत साउथ अफ्रीका दौरे से हुई. साउथ अफ्रीक के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज में धवन को एक मैच में खेलने का मौका मिला जिसमें दो पारियों में वे महज 32 रन ही बना पाए. इस दौरे के बाद भारतीय टीम चार महीने बाद अफगानिस्तान के खिलाफ एकमात्र टेस्ट मैच खेलने मैदान पर उतरी.


अफगानिस्तान के खिलाफ एकमात्र टेस्ट मैच बेगलुरु में खेला गया जिसमें धवन ने शतकीय पारी खेली. धवन की इस पारी को छोड़ दें तो इसके अलावा और कोई भी बड़ी पारी उनके बल्ले से नहीं निकली है.


इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों में धवन को तीन मैचों में खेलने का मौका मिला लेकिन उसमें भी वे पूरी तरह से नाकाम रहे हैं. तीन मैचों में धवन के बल्ले से 158 रन बने हैं जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 44 रनों का रहा है.


ऐसे में विदेशी दौरों पर शिखर धवन की बल्लेबाजी सवालों के घेरे में आ गई है. घेरलू मैदान पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले धवन आखिर विदेशी दौरे पर टेस्ट मैचों में अच्छी बल्लेबाजी क्यों नहीं कर पाते हैं ?


विदेशी दौरों पर टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों के नाकाम होने की वजह की सारा भार मध्यक्रम पर पड़ जाता है लेकिन मध्यक्रम में भी टीम सिर्फ कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अंजिक्य रहाणे पर ही टीम को निर्भर रहना पड़ता है.


ऐसे में कप्तान और टीम मैनेजमेंट को टीम की इस कमी को जल्द से जल्द सुधारना होगा ताकि विदेशी दौरे पर टीम अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन कर पाए.