पृथ्वी शॉ एक ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्हें शुरू से ही सचिन की तरह बल्लेबाजी करने वाला बल्लेबाज कहा जाता रहा है. शॉ के भीतर सचिन की तरह भारतीय क्रिकेट का नाम रोशन करने का दमखम भी है और ऐसा वो एक बार कर भी चुके हैं. लेकिन शायद मुंबई के इस बल्लेबाज ने जैसा सोचा था वैसा इनके साथ हुआ नहीं. पृथ्वी शॉ के विवाद को देखते हुए स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री के पास बीसीसीआई से अपनी पुरानी लड़ाई को शुरू करने का एक बार फिर मौका मिल गया है. शॉ को फिलहाल 15 नवंबर तक क्रिकेट से बैन कर दिया गया है. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने एक ऐसे कफ सिरप का सेवन किया था जो प्रतिबंधित पदार्थ है और जिसे वाडा (वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी) ने बैन किया हुआ है.

इस दौरान शॉ पर 8 महीने की बजाय पूरे दो साल का बैन लग सकता था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. क्योंकि एक तरह से बीसीसीआई ने खुद केस को हैंडल किया, सजा का एलान किया, खुद केस पर निर्णय लिया और क्रिकेटर को 8 महीने क्रिकेट से दूर भी किया. इसके बाद मीडिया में विवाद पहुंचा जिसका नतीजा ये हुआ कि स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री को अब कड़े कदम उठाने पड़ रहे हैं.

शुक्रवार की सुबह बीसीसीआई सीईओ और ऑफिशियल्स ने इस बात पर मोहर लगाते हुए कहा कि नाडा (नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी) अब क्रिकेटर्स का टेस्ट करेगी और बीसीसीआई उस प्रोटोकॉल को फॉलो करेगी जैसे सभी नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन फॉलो करती हैं.

क्या है इसका मतबल?

नाडा के नियम के अनुसार अब अधिकारी टॉप खिलाड़ी जैसे विराट कोहली, एमएस धोनी और रोहित शर्मा के दरवाजे पर किसी भी समय दस्तक दे सकते हैं. वहीं इसके बाद अब टॉप के खिलाड़ियों को सुबह 6 बजे से लेकर रात के 11 बजे तक नाडा को एक घंटा देना ही होगा. वो कहीं भी रहें उन्हें ऐसा करना ही होगा. इन खिलाड़ियों को नाडा को इस बात की भी जानकारी देनी होगी वो भारत के भीतर ही ट्रेवल कर रहे हैं या विदेश जा रहे हैं.

नाडा के अधिकारी टेस्ट के लिए आ भी सकते हैं और नहीं भी लेकिन क्रिकेटर्स को इनके लिए अपना एक घंटा निकालन ही होगा. इस दौरान अगर नाडा के अधिकारी आते हैं और खिलाड़ियों से उनकी मुलाकात नहीं हो पाती है या फिर उनकी जानकारी गलत होती है तो उसे एक 'चूक' के तौर पर गिना जाएगा. ऐसे में अगर खिलाड़ियों से 3 चूक होता है तो उन्हें सीधे 2 सालों के लिए बैन कर दिया जाएगा.

हालांकि इसमें कुछ नया नहीं है क्योंकि दुनिया के टॉप खिलाड़ी यानी की रॉजर फेडरेर, यूसेन बोल्ट, माइकल फेल्प्स और रोनाल्डो को भी उनकी एंटी डोपिंग एजेंसी टेस्ट करती हैं. बता दें कि ये वाडा के नियम है जिसके अनुसार हर देश, हर खेल और हर खिलाड़ी के साथ ऐसा होता है. इसकी मदद से एक खेल को डोपिंग फ्री बनाया जाता है. इससे पहले क्रिकेटर्स को बड़े इवेंट जैसे वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान ही टेस्ट किया जाता था.

वहीं अब ये भी कहा जा रहा है कि इस नए नियम के बाद क्रिकेट को अब ओलंपिक में भी शामिल किया जा सकता है. इसपर आईसीसी भी पहले अपना बयान दे चुकी है. महिला क्रिकेट को पहले ही कॉमन वेल्थ गेम्स 2022 में शामिल किया जा चुका है. जिसे देखते हुए अब ये कहा जा सकता है कि टीम मेडल ला सकती है.

नए नियम के तहत क्रिकेटर्स को अब और चौंकन्ना रहना होगा. एक गलती और क्रिकेटर्स दो साल के लिए बैन हो सकते हैं. इससे टॉप के खिलाड़ी तो सीखेंगे ही साथ में युवा खिलाड़ियों को भी पहले से ही इससे सीख मिलेगी.