भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने कहा है कि कप्तान होने के नाते उनका फोकस टीम को आगे ले जाने पर रहता है और इस दौरान वह परिणाम के बारे मे अधिक नहीं सोचते क्योंकि किसी भी व्यक्ति की नेतृत्व क्षमता का आंकलन हमेशा परिणाम के आधार पर नहीं होता. भारतीय टीम अभी न्यूजीलैंड दौरे पर है, जहां वह पांच मैचों की टी-20 सीरीज के साथ अपना लम्बा दौरा शुरू कर रही है. टी-20 सीरीज की शुरुआत शुक्रवार से ईडन पार्क मैदान पर होने वाले मुकाबले से होगी.
मैच पूर्व संवाददाता सम्मेलन में कोहली ने कहा, "मैंने हमेशा से एक काम पर फोकस किया है कि मैं टीम के लिए क्या-क्या कर सकता हूं. मेरे लिए परिणाम अहम नहीं है. मैं टीम को आगे ले जाना चाहता हूं क्योंकि मेरा मानना है कि परिणाम कभी भी किसी की नेतृत्व क्षमता के आंकलन का एकमात्र आधार नहीं हो सकता."

कोहली की इस बात को लेकर आलोचना होती रही है कि कप्तान बनने के बाद से वह भारत के लिए एक भी आईसीसी इवेंट नहीं जीत सके हैं. इसी के जवाब में कोहली ने यह बात कही. 31 साल के कोहली मानते हैं कि जब भी कोई टीम किसी टीम को हराती है तो हारने वाली टीम को एक साथ हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और भविष्य के लिए अपने खेल में सुधार का प्रयास करना चाहिए.


कोहली ने कहा, "अगर कोई टीम आपको हरा देती हो तो एक साथ मिलकर हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और सुधार की कोशिश करनी चाहिए. इसे सिर्फ और सिर्फ नेतृत्व की नाकामी नहीं माना जाना चाहिए."

कोहली की कप्तानी में इस साल भारत को टी-20 विश्व कप में खेलना है. बीते साल आयोजित आईसीसी 50 ओवर विश्व कप में भारत को सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों ही हार मिली थी.

दूसरी ओर, बीते साल गर्मियों के बाद पहली बार टीम के लिए खेल रहे विलियम्सन ने कहा कि वह इस बात को लेकर खुश हैं कि वह ऐसे खिलाड़ियों के कप्तान हैं, जो लगातार टीम को आगे ले जाने के लिए प्रयत्नशील हैं.

विलियम्सन ने कहा, "कोहली की तरह मैं भी खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मेरे साथ लगातार टीम को आगे ले जाने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं. सिर्फ मैं ही नहीं टीम का नेतृत्व करने का प्रयास करता हूं. मेरे अलावा कई और खिलाड़ी हैं जो टीम की जीत में अहम भूमिका अदा करना चाहते हैं और वक्त पड़ने पर जरूरी सलाह देते हैं. इसलिए मेरे लिए नेतृत्व एक कलेक्टिव एप्रोच है."