नई दिल्ली/बेंगलूरू: एमएस धोनी जैसे दिग्गज क्रिकेटर के स्थान पर टीम में जगह बना पाना किसी भी खिलाड़ी के लिए बिल्कुल नामुमकिन जैसा है. धोनी ने जिस दौर में विकेटकीपर बल्लेबाज की भूमिका की नयी परिभाषा गढ़ी, ऐसे में किसी भी खिलाड़ी के लिए उनकी बराबरी कर पाना बिल्कुल भी आसान नहीं था.


टीम इंडिया के दरवाज़े पर धोनी की दस्तक से ये साफ हो गया कि अब कई विकेटकीपरों के लिए टीम इंडिया में वापसी की राह बिल्कुल भी आसान नहीं है. ऐसे दो विकेटकीपर अकसर याद ते हैं जिनका नाम है दिनेश कार्तिक और पार्थिव पटेल. इन दोनों विकेटकीपरों ने धोनी से पहले टीम इंडिया में अपनी जगह बनाई. लेकिन धोनी की दस्तक के साथ इन खिलाड़ियों को नामों निशान मानो गुम सा हो गया.


खासकर टीम इंडिया के उभरते हुए विकेटकीपर बनते जा रहे दिनेश कार्तिक के लिए नेशनल टीम के रास्ते लगभग बंद से हो गए.


आखिरी बार 2010 में टेस्ट खेलने वाले कार्तिक इतने समय आत्ममंथन के बाद अब बेबाकी से कहते हैं कि धोनी जैसे दिग्गज खिलाड़ी के रहते उनके लिये टीम में जगह बनाना आसान नहीं था.


उन्होंने अफगानिस्तान के खिलाफ टेस्ट से पहले कहा,‘‘मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका. प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक थी और एम एस धोनी जैसे खिलाड़ी से प्रतिस्पर्धा थी. वह भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट कप्तानों में से एक बने और विश्व क्रिकेट पर अपने प्रदर्शन की छाप छोड़ी.’’


चोटिल रिधिमान साहा के विकल्प के तौर पर आये कार्तिक ने बांग्लादेश के खिलाफ 2010 में अपने कैरियर का 23वां टेस्ट खेला था. उसके बाद से भारतीय टीम ने 87 टेस्ट खेले जिनमें कार्तिक टीम में नहीं थे.


कार्तिक ने कहा,‘‘मैने अपना स्थान किसी आम क्रिकेटर को नहीं गंवाया. धोनी खास थे और मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं. उस समय मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन भी नहीं कर सका. अब मुझे एक और मौका मिला है और मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगा.’’


धोनी के कारण 2014 तक वह टेस्ट टीम से बाहर रहे और उसके बाद रिधिमान साहा ने टीम में जगह बना ली थी. साहा के चोटिल होने से कार्तिक को फिर मौका मिला है.