सॉफ्ट सिग्नल पर खिलाड़ियों को राहत, डब्लूटीसी फाइनल से पहले आईसीसी का बड़ा फैसला
Soft Signal: आईसीसी ने कथित तौर पर सॉफ्ट सिगनल को खत्म कर दिया है. नया बदलाव भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जाने वाले WTC फाइनल 2023 से लागू किया जाएगा.
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ICC Abolish Soft Signal: आईसीसी की ओर से बड़ा बदलाव किया गया है. इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने कथित तौर पर ‘साफ्ट सिगनल’ को हमेशा के लिए हटाने का फैसला किया है. क्रिकेट में ‘सॉफ्ट सिगनल’ हमेशा से ही एक बहस का विषय रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबाकि, यह सिगनल जून में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 7 जून से लंदन के ओवल में खेले जाने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल 2023 से हटा दिया जाएगा.
क्रिकबज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सौरव गांगुली की अध्यक्षता वाली आईसीसी क्रिकेट समिति ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली भारत और ऑस्ट्रेलिया, दोनों टीमों को इस बात से अवगत करा दिया गया है.
क्या है ‘सॉफ्ट सिगनल?
साफ्ट सिगनल का इस्तेमाल थर्ड अंपायर (टीवी अंपायर) तब करते हैं, जब वो किसी फैसले पर पहुंचने में असमर्थ रहते हैं. किसी कैच या कोई अन्य मुश्किल परिस्थिति को क्लियर करने के लिए फील्ड अंपायर थर्ड अंपायर का रुख करता है. टीवी अंपायर फैसला देने के लिए मौजूद सभी टेक्नॉलिजी का इस्तेमाल करता है. अगर इसके बाद भी टीवी अंपायर फैसला करने में असमर्थ हो जाता है तो वो फील्ड अंपायर से राय लेता है और वहीं उसी के फैसले के साथ कायम रहता है.
फील्ड अंपायर किसी कैच या अन्य फैसले के लिए थर्ड अंपायर की ओर जाता है. सारी वीडियो और कैमरा एंगल देखने के बाद भी थर्ड अंपायर संतुष्ट नहीं होता तो वो फील्ड अंपायर से राय लेता है. अगर फील्ड अंपायर ने बल्लेबाज़ पहले आउट करार दिया है या फिर उनके हिसाब से ये आउट है तो थर्ड अंपायर ‘सॉफ्ट सिगनल’ देते हुए फील्ड अंपायर के साथ जाएगा. इस नियम में ऐसा माना जाता है कि फील्ड अंपायर ने परिस्थिति को ज़्यादा करीब से देखा है.
कब नहीं होता सॉफ्ट सिगनल
अगर थर्ड अंपायर को फील्ड अंपायर के फैसले के खिलाफ ठोस सबूत मिल जाते हैं, यानी थर्ड अंपायर अपने नजीते पर पहुंच जाता है तो फिर ‘सॉफ्ट सिगनल’ नहीं दिया जाता है.
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