दीपक अग्रवाल टी10 लीग की फ्रेंचाइजी सिंधी के मालिक हैं. दीपक पर आईसीसी की आचार संहिता की धारा 2.4.7 के उल्लंघन का आरोप है जिसमें जांच में देरी कराने, सबूतों से छेड़छाड़ करने की बात शामिल है. दीपक पर 27 अप्रैल तक 2022 तक बैन लगा है.
आईसीसी ने यह फैसला दीपक के आईसीसी के भ्रष्टाचार रोधी कोड के उल्लंघन की बात को मानने के बाद लिया है. उनकी सजा के आखिरी छह महीने कम कर दिए क्योंकि दीपक ने अपने ऊपर लगाए गए एक आरोप को कबूल कर लिया है. ऐसे में अगर वो शर्तों का सही से पालन करते हैं तो उनका प्रतिबंध अक्टूबर 2021 में खत्म हो जाएघा.
आईसीसी के महानिदेशक एलेक्स मार्शल ने कहा है, "सिर्फ एक नहीं ऐसे कई उदाहरण हैं जहां दीपक द्वारा जांच में देरी करने और जांच को बाधित करने के सबूत मिलते हैं। उन्होंने हालांकि आईसीसी के भ्रष्टाचार रोधी नियमों के उल्लंघन की बात को कबूल किया और एसीयू को अन्य भागीदारों के संबंध में चल रही जांच में जरूरी मदद मुहैया करा रहे हैं। इस सहयोग का असर उनकी सजा में दिखा।"
पहले भी आया था नाम
वहीं क्रिकबज की रिपोर्ट के मुताबिक ये पहली बार नहीं है जब दीपक अग्रवाल का नाम भ्रष्टाचार से जुड़ी गतिविधियों में सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक आखिरी बार अग्रवाल का नाम बांग्लादेशी ऑलराउंजर शाकिब अल हसन के मामले में सामने आया था.
आईसीसी ने फिक्सिंग के लिए सट्टेबाजों की ओर से संपर्क किए जाने की जानकारी छुपाने के मामले में शाकिब पर पिछले अक्टूबर में 2 साल का प्रतिबंध लगाया था.
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