ICC Champions Trophy 2025: चैंपियंस ट्रॉफी मामला कब तक सुलझ पाएगा, इस विषय पर 5 दिसंबर को ICC ने मीटिंग बुलाई थी लेकिन अब मीटिंग की तारीख बढ़ाकर 7 दिसंबर कर दी गई है. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) को हाइब्रिड मॉडल पर अपना रुख साफ करना है. भारत और पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर आमने-सामने हैं, लेकिन इसके अलावा ब्रॉडकास्टर्स का मुद्दा भी सबकी चिंता बढ़ा रहा है. चैंपियंस ट्रॉफी में दुनिया की 8 टॉप टीमें भाग ले रही होंगे, इसलिए इसमें खूब सारा पैसा भी इन्वेस्ट किया गया है.


चैंपियंस ट्रॉफी अब केवल एक क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं रह गया है बल्कि TOI अनुसार इसमें 750 मिलियन डॉलर्स यानी भारतीय मुद्रा में करीब 6,350 करोड़ रुपये दांव पर लगे हैं. क्रिकेट के भारतीय मार्केट को देखते हुए यह बहुत बड़ी रकम है और टूर्नामेंट में भारत ही भाग नहीं लेगा तो ना केवल ICC, बल्कि BCCI और यहां तक कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को भी भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है. ऐसे में आईसीसी को सुनिश्चित करना होगा कि पाकिस्तान हाइब्रिड मॉडल के लिए मान जाए क्योंकि पीसीबी की एक गलती 6 हजार करोड़ से भी अधिक रकम के नुकसान की वजह बन सकती है.


एक सूत्र के हवाले से एक ब्रॉडकास्टर ने बताया कि पाकिस्तान टूर्नामेंट से बाहर होता तो वित्तीय क्षति कम हो सकती थी. बताया गया कि आर्थिक क्षति की संभावनाओं को देखते हुए चैंपियंस ट्रॉफी को पाकिस्तान से किसी दूसरे देश में शिफ्ट करना पूरी तरह ICC के अधिकार में है. यह भी बताते चलें कि पीसीबी हाइब्रिड मॉडल स्वीकारने को तैयार हो गया था, लेकिन उसने कुछ शर्तें भी सामने रखीं. पाकिस्तान का कहना था कि यदि चैंपियंस ट्रॉफी के लिए हाइब्रिड मॉडल लागू किया जाता है तो भारत में होने वाले अगले ICC इवेंट्स में पाकिस्तान के लिए भी हाइब्रिड मॉडल अपनाना चाहिए. इस बीच पाकिस्तान पर भी खतरा मंडरा रहा है क्योंकि वह हाइब्रिड मॉडल को स्वीकार नहीं करता है तो उसे 65 मिलियन डॉलर यानीकरीब 550 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ सकता है.


यह भी पढ़ें:


Champions Trophy 2025: पाकिस्तान को मिली आखिरी चेतावनी! ICC ने दिया झटका, चैंपियंस ट्रॉफी के फैसले का इंतजार बढ़ा