World Cup 2023: गौतम गंभीर ने बाबर आज़म को पढ़ाया कप्तानी का पाठ, रोहित शर्मा का दिया उदाहरण
Gautam Gambhir to Babar Azam: गौतम गंभीर ने बाबर आज़म के बारे में बात करते हुए बताया कि उन्हें अपनी कप्तानी और बल्लेबाजी दोनों में दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत है.
CWC 2023: भारत को दो बार वर्ल्ड कप चैंपियन बनाने वाले पूर्व ओपनर बल्लेबाज गौतम गंभीर हमेशा पाकिस्तान के बारे में तीखी प्रतिक्रिया देते रहते हैं. हालांकि, पाकिस्तान के मौजूदा कप्तान बाबर आज़म के बारे में गौतम ने काफी तारीफ की थी. उन्होंने बाबर की बल्लेबाजी तकनीक की काफी सराहना भी की थी, लेकिन हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में गौतम गंभीर ने बाबर आज़म को अपने स्टाइल में बदलाव लाने की सलाह दी है.
गौतम गंभीर ने स्पोर्ट्सकीड़ा से बातचीत करते हुए कहा कि, "मुझे लगता है कि बाबर को अपने व्यक्तित्व, अपने खेल और, महत्वपूर्ण रूप से, अपनी मानसिकता को बदलना होगा. पाकिस्तान में आक्रामक बल्लेबाजों का इतिहास रहा है फिर चाहे वो शाहिद अफरीदी हो, इमरान नजीर हो, सईद अनवर हो, या आमिर सोहेल हो. मौजूदा टीम के भी टॉप-3 बल्लेबाज भी सभी एक ही मोड में बल्लेबाजी करते हैं. अगर किसी को जिम्मेदारी उठानी है, तो वह कप्तान होने चाहिए, जो नंबर-3 पर बल्लेबाजी करते हैं."
टीम का वर्ल्ड कप जीतना ज्यादा जरूरी होना चाहिए
गौतम ने बाबर और पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के बारे में बात करते हुए आगे कहा कि, "आंकड़ों को देखने का कोई मतलब नहीं है. आप पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन सकते हैं, लेकिन विरासत टूर्नामेंट जीतने से बनती है, व्यक्तिगत रिकॉर्ड से नहीं. वसीम अकरम ने 1992 विश्व कप फाइनल में तीन विकेट लिए थे. उन्होंने पांच विकेट भी नहीं लिए थे, लेकिन फिर भी हर कोई उनके बारे में बात करता है, क्योंकि उन्होंने वर्ल्ड कप जीता था. 2011 के फाइनल मैच में महेला जयवर्धने के शतक के बारे में कोई बात नहीं करता. सभी को सिर्फ भारतीय टीम का प्रदर्शन याद है, क्योंकि भारत ने वर्ल्ड कप जीता था."
गौतम गंभीर ने रोहित शर्मा का उदाहरण देते हुए विस्तार में बताय कि, "टीम वैसे ही खेलती है जैसे कप्तान खेलता है. बाबर आज़म और रोहित शर्मा दोनों ने अर्द्धशतक बनाए. एक ने 50 रन बनाए, दूसरे ने 80 रन बनाए. उनमें से किसी ने भी शतक नहीं बनाया, लेकिन इन दोनों में सिर्फ दृष्टिकोण का ही अंतर था. अगर पाकिस्तान 190 रनों का पीछा कर रहा होता तो उनकी मानसिकता सिर्फ मैच जीतने की होती, फिर चाहे वो उसे 35 ओवर में जीतते या 40 ओवर में. इसलिए कप्तान का जिम्मेदारी उठाना काफी महत्वपूर्ण है. यदि कप्तान रक्षात्मक है, तो टीम रक्षात्मक होगी. आप कमरे में 10 अन्य खिलाड़ियों को यह नहीं कह सकते कि, 'आप सकारात्मक खेलें, मैं एक छोर से एंकर रोल निभाता रहूंगा."