ICC Cricket World Cup 2023: ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल अफगानिस्तान के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में एक ऐसी पारी खेली है, जिसे क्रिकेट इतिहास में आने वाले कई दशकों तक याद रखा जाएगा. उन्होंने हारी हुई बाजी को जीतकर बाजीगर का टैग अपने नाम के आगे शुमार कर लिया. 128 गेंदों में 201 रनों की नाबाद पारी खेलकर मैक्सवेल ने अफगानिस्तान की मुंह से जीत छीन ली और अपनी टीम को सेमीफाइनल में पहुंचा दिया. 


हालांकि, ऐसा करना ग्लेन मैक्सवेल के लिए आसान नहीं रहा. उन्हें इसके लिए बहुत सारा दर्द और पीड़ा सहनी पड़ी. मुंबई की भीषण गर्मी में 3-4 घंटे लगातार फील्डिंग और गेंदबाजी करने के बाद मैक्सवेल शुरुआती ओवर्स में ही बल्लेबाजी करने के लिए क्रीज पर आ गए थे, और अंत तक क्रीज पर ही किसी पहाड़ की तरह डटे रहे, और अपनी टीम की नैया को सेमीफाइनल के पार पहुंचा दिया. दरअसल, अफगानिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया को 292 रनों का लक्ष्य दिया था, और सिर्फ 91 रनों पर ऑस्ट्रेलिया के सात बल्लेबाजों को पवेलियन वापस भेज दिया. उसके बाद क्रीज पर सिर्फ ग्लेन मैक्सवेल और कप्तान पैट कमिंस मौजूद थे. ग्लेन मैक्सवेल भी शुरुआत में 3-4 बार आउट होते-होते बच गए. एक बार मुज़ीब उर रहमान हाथ में आया बिल्कुल आसान कैच टपका दिया, तो एक बार तो एलबीडब्लू आउट दिए जाने पर मैक्सवेल मैदान से बाहर जाने के लिए निकल पड़े थे, लेकिन तभी डीआरएस में दिखा कि गेंद की ऊंचाई स्टंप के बिल्कुल ऊपर से गई है, और मैक्सवेल बच गए. 


इतना दर्द क्यों सहते रहे मैक्सवेल


किस्मत का इतना साथ मिलने के बाद मैक्सवेल समझ गए, कि आज उनका दिन है. उन्होंने धीरे-धीरे अफगानी गेंदबाजों पर अटैक करना शुरू किया और देखते ही देखते अपना शतक पूरा कर लिया. दूसरी छोर से पैट कमिंस ने भी सिर्फ खड़े रहकर उनका बखूबी साथ निभाया. शतक के बाद मैक्सवेल को हैमस्ट्रिंग, क्रैंप्स, और पीठ में खिंचाव की गंभीर समस्या होने लगी. कुछ देर के बाद एक वक्त ऐसा आया कि वो मैदान पर गिर गए और अपना पैर भी हिला नहीं पा रहे थे. उस वक्त कप्तान पैट कमिंस से लेकर अंपायर तक ने मैक्सवेल को मैदान से बाहर जाने के लिए कह दिया. यहां तक कि पैट कमिंस ने इशारा करके अगले बल्लेबाज एडम जैम्पा को भी क्रीज पर आने के लिए कह दिया और जैम्पा भी बाउंड्री लाइन पर आ गए थे, लेकिन उसके बाद मैक्सवेल ने कुछ देर फीजियो की ट्रीटमेंट लेने के बाद कहा कि वो बल्लेबाजी करेंगे. 


उसके बाद मैक्सवेल ने सिंगल, डबल रन लेना बंद कर दिया और अपने पैरों को जरा सा भी मूव किए बिना सिर्फ चौके और छक्कों में रन बनाने लगे. यहां तक कि वो अगले ओवर में के लिए दूसरी छोर पर स्ट्राइक लेने भी नहीं जा पा रहे थे. इतनी पीड़ाओं को सहने के बाद भी मैक्सवेल ने हार नहीं मानी और सिर्फ चौके-छक्के लगाकर अपनी टीम को जीत दिला दी. ऐसे में बहुत लोग सोच रहे हैं कि मैक्सवेल मैदान के बाहर क्यों नहीं गए. दरअसल, ऑस्ट्रेलियाई टीम हमेशा अंत तक लड़ने और जीतने के लिए जानी जाती रही है. क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया का इतिहास बड़ा सुनहरा रहा है, लेकिन इस बार के वर्ल्ड कप में उनकी शुरुआत बेहद खराब हुई थी. उन्होंने शुरुआती दो मैच गवां दिए थे, और एक वक्त अंक तालिका में सबसे नीचे यानी दसवें स्थान पर आ गई थी. 


उस वक्त सोशल मीडिया पर ऑस्ट्रेलिया का काफी मजाक बना था कि इस बार उनकी टीम सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाएगी. ऐसे में अगर मैक्सवेल अफगानिस्तान के खिलाफ रिटायर्ड हर्ट होकर बाहर चले जाते तो ऐसा हो सकता था कि ऑस्ट्रेलिया उस मैच को हार जाती. अगर ऑस्ट्रेलिया अफगानिस्तान के खिलाफ हार जाती तो उनका सेमीफाइनल में पहुंचना भी मुश्किल हो सकता था. इस कारण मैक्सवेल दर्द सहते रहे और टीम को जीत दिला दी.


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