IND Vs AUS: सिडनी टेस्ट के आखिरी दिन टीम इंडिया ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए मैच को ड्रॉ हासिल करवाने में कामयाबी हासिल की. भारत के लिए मैच का ड्रॉ होना जीत से कम नहीं है क्योंकि वह चोटिल खिलाड़ियों के सहारे यह कमाल कर पाया है. हैमस्ट्रिंग इंजरी से जूझ रहे हनुमा विहारी लंच सेशन के बाद से आखिर तक क्रीज पर डटे रहे और मैच को ड्रॉ करवाकर दम लिया. इस मैच के बाद हर कोई हनुमा विहारी का मुरीद हो गया है. लेकिन हनुमा विहारी की शख्सियत बचपन से ही इतनी मजबूत रही है..
कप्तान विराट कोहली ने सीरीज शुरू होने से पहले स्टीव स्मिथ के साथ बातचीत में कहा था कि विहारी एक ऐसे खिलाड़ी थे जिसे वह टेस्ट सीरीज के दौरान आगे देखना चाहते थे. कोहली को उनकी और उनके धर्य को पसंद करने का एक कारण हो सकता है.
10 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था
हनुमा विहारी की जिंदगी की कहानी भी कोहली के जैसी ही रही है. कोहली जब 18 साल के थे, तो रणजी ट्रॉफी के दौरान उनके पिता का निधन हो गया था. पिता के निधन के बावजूद कोहली रणजी ट्रॉफी में कर्नाटक के खिलाफ खेले थे.
विहारी भी जब 10 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था. विहारी भी अपने पिता के निधन के बावजूद स्कूल फाइनल के मैच में खेले थे. विहारी के बचपन के कोच जॉन मनोज ने कहा, " वह बहुत धैर्यवान हैं. अपने पिता के निधन के बावजूद वह स्कूल के फाइनल मैच में खेले थे और 80 रन बनाए थे. उनकी मां ने दिवंगत पिता के पेंशन के सहारे उन्हें समर्थन किया है."
विहारी ने 161 गेंदों पर नाबाद 23 रन बनाए, जोकि दोहरे अंकों में पहुंचने का टेस्ट इतिहास का सबसे कम आंकड़ा है. विहारी ने अपने 12 टेस्ट मैचों में अब तक केवल एक ही टेस्ट भारत में खेला है. महत्वपूर्ण बात यह है कि विहारी टीम की जरूरतों के हिसाब से बल्लेबाजी करते हैं.
विहारी को हालांकि हैमस्ट्रिंग इंजरी की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. विहारी की चोट काफी गंभीर है और अब वह कुछ महीनों तक क्रिकेट खेलने के लिए उपलब्ध नहीं होंगे.
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