भारत की बल्लेबाजी
टीम इंडिया की बल्लेबाजी शुरू से ही दबाव के साथ खेल रही थी जहां हर ओवर में बांग्लादेश के गेंदबाज टीम इंडिया पर भारी थे. बांग्लादेश की टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था. बांग्लादेश के तेज गेंदबाजों ने शुरू से ही टीम इंडिया पर अटैक करना शुरू कर दिया था चाहे वो शब्दों के जरिए हो या फिर अपनी गेंदबाजी के बल पर. इसका नुकसान तब हुआ जब दिव्यांश सक्सेना सिर्फ 2 रन बनाकर ही पवेलियन लौट गए.
सक्सेना 9 रन के कुल स्कोर पर आउट हुए. ऐसे में टीम इंडिया ने पहले 10 ओवरों में 40 से कम रन बनाए जिसका नुकसान ये हुआ कि सभी बल्लेबाज शुरू से ही गेंद ज्यादा और रन कम बना रहे थे. अब क्रीज पर जायसवाल का साथ देने तिलक वर्मा आए. दोनों ने मिलकर टीम के स्कोर को 30 ओवरों के भीतर 100 रनों के पार पहुंचाया. यहां बल्लेबाज पर स्लो रेन रेट का प्रेशर था जिसका असर तिलक वर्मा का आउट होना हुआ. वो 38 रन बनाकर चलते बने. इसके तुरंत बाद ही प्रियम गर्ग भी पवेलियन लौट गए.
कप्तान के जाने के बाद जायसवाल अभी भी क्रीज पर मौजूद थे. उन्होंने फिर ध्रुव जुरेल के साथ साझेदारी करनी शुरू की. दोनों ने टीम के स्कोर को 150 के पार पहुंचाया. तभी भारत को सबसे बड़ा झटका लगा जब सेट बल्लेबाज जायसवाल अपना कैच दे बैठे और 88 रन बनाकर पवेलियन लौट गए.
इसके बाद बांग्लादेश के गेंदबाजों ने टीम इंडिया को नहीं बक्शा और पूरी टीम ताश के पत्तों की तरफ बिखर गई. 170 के भीतर ही टीम इंडिया के 8 बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे और 45 ओवर हो चुके थे. अब टीम इंडिया का टारगेट 200 रनों का छूने का था लेकिन तभी 9वां विकेट भी गिर गया. इस तरह टीम इंडिया पूरे 50 ओवर भी नहीं खेल पाई और पूरी टीम मात्र 177 रन बनाकर आउट हो गई. यहां बांग्लादेश को जीत के लिए बस 178 रनों की जरूरत थी. लेकिन मैच के अंत में बारिश आ गई जिसके चलते टीम DLS के तहत बस 170 रन ही बनाने थे जिसे टीम ने 42.1 ओवरों में चेस कर चैंपियन का खिताब दर्ज कर लिया.
भारत की गेंदबाजी
टीम इंडिया कुछ हद तक बांग्लादेश को रोकने में कामयाब रही थी जहां पहले 50 रन पर कोई विकेट नहीं मिले. तो वहीं इसके बाद अगले 50 में टीम ने 6 विकेट निकाले लेकिन इसके बाद इमोन और अकबर की बल्लेबाजी के आगे टीम इंडिया के गेंदबाज ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाए और बांग्लादेश ने ये मैच आसानी से जीत लिया.