IND vs ENG: डेब्यू में धमाकेदार पारी खेलने के बाद सरफराज का आया पहला रिएक्शन, जडेजा के रन आउट कराने पर भी तोड़ी चुप्पी
IND vs ENG: तीसरे टेस्ट में सरफराज खान को डेब्यू का मौका मिला. अपने पहले टेस्ट में सरफराज ने 62 रनों की पारी खेली. हालांकि, रवींद्र जडेजा के गलत फैसले की वजह से उन्हें रन आउट होकर पवेलियन लौटना पड़ा.
India vs England 3rd Test, Sarfaraz Khan: भारत और इंग्लैंड के बीच राजकोट में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का तीसरा मुकाबला खेला जा रहा है. इस मैच में सरफराज खान को डेब्यू का मौका मिला. लंबे इंतजार के बाद डेब्यू करने उतरे सरफराज ने अपने पहले ही टेस्ट में अर्धशतक जड़ दिया. ऐसा लग रहा था कि मानो इंग्लैंड के गेंदबाज उन्हें आउट ही नहीं कर पाएंगे, तभी रवींद्र जडेजा की गलती की वजह से सरफराज को रन आउट होकर पवेलियन लौटना पड़ा.
पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद भारत का स्कोर पांच विकेट पर 326 रन था. रवींद्र जडेजा 110 रनों पर नाबाद लौटे. वहीं सरफराज ने 62 रनों की पारी खेली. पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद सरफराज ने अपने बयान से सभी का दिल जीत लिया.
26 साल के सरफराज खान को रवींद्र जडेजा से कोई शिकायत नहीं है. भारत के पहले दिन पांच विकेट पर 326 रन बनाने के बाद सरफराज ने मीडिया से बातचीत में कहा, पहली बार मैदान पर आना और अपने पिता के सामने कैप (भारतीय टीम की) लेना, मैं छह साल का था जब उन्होंने क्रिकेट की मेरी ट्रेनिंग शुरू की. यह मेरा सपना था कि उनके सामने भारतीय टीम के लिए खेलूं.
भारत के 311वें टेस्ट क्रिकेटर सरफराज ने अपने पहले ही टेस्ट की पहली पारी में 62 रन की तेजतर्रार पारी खेली. वह छह नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे. बैटिंग के बारे में बात करते हुए उन्होंने आगे कहा, "मैं ड्रेसिंग रूम में लगभग चार घंटे तक पैड बांधकर बैठा रहा. मैं सोच रहा था कि मैंने जीवन में इतना धैर्य रखा और कुछ और देर धैर्य रखने में कोई समस्या नहीं है. क्रीज पर उतरने के बाद मैं शुरुआती कुछ गेंदों पर नर्वस था, लेकिन मैंने इतना अधिक अभ्यास और कड़ी मेहनत की है कि सब कुछ सही रहा."
सरफराज ने कहा कि उनके लिए अपने पिता के सामने भारत के लिए खेलने से अधिक रन और प्रदर्शन मायने नहीं रखते. उन्होंने कहा, "भारत के लिए खेलना मेरे पिता सपना था, लेकिन दुर्भाग्य से किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो पाया. तब घर से उतना समर्थन नहीं मिला. उन्होंने मेरे ऊपर कड़ी मेहनत की और अब मेरे भाई के साथ ऐसा ही कर रहे हैं. यह मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है."
इस बल्लेबाज ने आगे कहा, "रन और प्रदर्शन मेरे दिमाग में उतना नहीं था जितना मैं अपने पिता के सामने भारत के लिए खेलने को लेकर खुश था. वह (राजकोट) आने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों ने जोर दिया कि उन्हें जाना चाहिए. बेशक उन्हें आना चाहिए था, क्योंकि उन्होंने इसी दिन के लिए इतनी कड़ी मेहनत की थी. मैंने उनके सामने अपनी कैप ली तो वे काफी भावुक थे और मेरी पत्नी भी."
सरफराज ने शुरुआत में नर्वस होने के बाद कुछ ताकतवर स्वीप और सीधे लॉफ्टेड शॉट खेलकर रन जुटाए और अपने रन आउट को ‘संवादहीनता’ का मामला बताया. उन्होंने कहा, "यह खेल का हिस्सा है. क्रिकेट में संवादहीनता होती है. कभी-कभी रन आउट होता है और कभी-कभी आपको रन मिलते हैं."
सरफराज ने आगे कहा, "मैंने लंच के समय जडेजा से बात की थी और उनसे आग्रह किया था कि खेलते समय मेरे साथ बात करें. मुझे खेलते हुए बातें करना पसंद है. मैंने उनसे कहा कि जब मैं बल्लेबाजी के लिए जाऊं तो खेलते हुए मेरे साथ बात करते रहें. वह बात करते रहे और बल्लेबाजी करते हुए मेरा काफी समर्थन किया."