टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने एक बार फिर से डिप्रेशन पर चुप्पी तोड़ी है. विराट कोहली ने बताया कि 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें बिल्कुल अकेला महसूस हो रहा था. कोविड 19 की वजह से खिलाड़ियों को बायो बबल में रहना पड़ रहा है इसलिए खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बहस और तेज हो गई है. विराट कोहली का मानना है कि टीम के साथ मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट का होना जरूरी है.
इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी मार्क निकोल्स के साथ बातचीत में कोहली ने स्वीकार किया कि वह उस दौरे के दौरान अपने करियर के मुश्किल दौर से गुजरे थे. विराट ने कहा, ''हां, मेरे साथ ऐसा हुआ था. यह सोचकर अच्छा नहीं लगता था कि आप रन नहीं बना पा रहे हो और मुझे लगता है कि सभी बल्लेबाजों को किसी दौर में ऐसा महसूस होता है कि आपका किसी चीज पर कतई नियंत्रण नहीं है.''
कोहली के लिये 2014 का इंग्लैंड दौरा निराशाजनक रहा था. उन्होंने पांच टेस्ट मैचों की 10 पारियों में 13.50 की औसत से रन बनाये थे. उनके स्कोर 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0,7, 6 और 20 रन थे. इसके बाद आस्ट्रेलिया दौर में उन्होंने 692 रन बनाकर शानदार वापसी की थी. इंग्लैंड दौरे के बारे में कप्तान कोहली ने कहा, ''आपको पता नहीं होता है कि इससे कैसे पार पाना है. यह वह दौर था जबकि मैं चीजों को बदलने के लिये कुछ नहीं कर सकता था. मुझे ऐसा महसूस होता था कि जैसे कि मैं दुनिया में अकेला इंसान हूं.''
डिप्रेशन को नहीं किया जा सकता नजरअंदाज
विराट कोहली ने कहा कि लोगों के बीच में होने के बावजूद उन्हें अकेला महसूस होता था और इस सब से बाहर निकलने के लिए उन्हें एक एक्सपर्ट की जरूरत थी. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक भारतीय कप्तान का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे किसी खिलाड़ी का करियर बर्बाद हो सकता है.
कप्तान विराट कोहली इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला के लिये अभी अहमदाबाद में हैं. दोनों टीमों ने अभी तक एक एक मैच जीता है. तीसरा टेस्ट मैच 24 फरवरी से खेला जाएगा.
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