नई दिल्ली: क्रिकेट जगत में चैम्पियंस ट्रॉफी की शुरुआत साल 1998 में हुई थी. पहली बार इस टूर्नामेंट का आयोजन बांग्लादेश में हुआ था और चैम्पियन बना था साउथ अफ्रीका. उसके बाद से लगभग हर दो साल में इस टूर्नामेंट का आयोजन हो ही रहा है.



चैम्पियंस ट्रॉफी को मिनी वर्ल्ड कप भी कहा जाता है. यही वजह है कि टीमें इस खिताब को जीतने के लिए जी जान लगा देती हैं. इस टूर्नामेंट के अब तक के इतिहास पर नज़र दौड़ाई जाए, तो सबसे ज्यादा बार जिस टीम ने इस खिताब को अपने नाम किया है, उसमें ऑस्ट्रेलिया और भारत का नाम सबसे ऊपर है.



साल 2002 में भारत और श्रीलंका की टीमें फाइनल में पहुंची थीं. फाइनल मुकाबला दो बार खेला गया लेकिन दोनों बार भारी बारिश की वजह से मैच को रद्द करना पड़ा. रिजर्व डे पर हुए दूसरे मैच के बाद दोनों टीमों को संयुक्त रूप से विजेता घोषित कर दिया गया.



दूसरी बार भारत साल 2013 में एमएस धोनी की कप्तानी में यह टूर्नामेंट जीतने में कामयाब रहा. इस दफा भारतीय टीम ने मेज़बान इंग्लैंड को 5 रनों से हराकर खिताब अपने नाम किया. इस तरह से भारतीय टीम ने दो बार इस खिताब को अपना बनाया.



ऑस्ट्रेलिया भी इस खिताब को दो बार जीत चुकी है. साल 2006 में ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज को 6 विकेटों से हराकर खिताब अपने नाम किया था और साल 2009 में न्यूजीलैंड के 6 विकेटों से हराकर एक बार फिर इस खिताब पर कब्ज़ा जमाया था.



आपको बता दें कि वेस्टइंडीज की टीम ने चैम्पियंस ट्रॉफी में तीन बार फाइनल तक का सफर तय किया लेकिन उसे जीत सिर्फ एक बार ही मिली है. साल 2004 में वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को हराकर खिताब जीता था.



साउथ अफ्रीकी टीम भी पहली चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने के बाद से करीब 19 सालों से दोबारा इस खिताब को अपने नाम करने की कोशिश में लगी हुई है लेकिन अब तक कामयाब नहीं हो पाई है. यहां तक की टीम 1998 के बाद से फाइनल तक में जगह नहीं बना पाई है.



भारतीय फैंस के लिए अच्छी खबर ये है कि पाकिस्तान अब तक इस टूर्नामेंट के फाइनल तक में जगह नहीं बना पाई है. इस बार भारतीय टीम का पहला मुकाबला पाकिस्तान से ही होना है. इस रिकॉर्ड को देखते हुए कहा जा सकता है कि चैम्पियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम का पलड़ा भारी है.