हैमिल्टन में टीम इंडिया को शानदार जीत मिली. सुपर ओवर में टीम को 18 रनों की जरूरत थी. केएल राहुल और रोहित शर्मा बल्लेबाजी के लिए आए. शुरूआत अच्छी नहीं रही. पहली दो गेंदों पर सिर्फ तीन रन बने. आखिर में दो गेंद पर दस रन चाहिए थे. पांचवी गेंद पर रोहित शर्मा के छक्के के बाद भी बाजी आसान नहीं थी. क्योंकि अब भी आखिरी बॉल पर चार रन चाहिए थे. रोहित शर्मा भी सोचकर आए थे कि आज फैंस का पूरा पैसा वसूल कराना है. उन्होंने आखिरी गेंद पर भी एक जोरदार छक्का लगाया. उनके छक्के की बदौलत भारतीय टीम ने तीसरा टी-20 मैच तो जीत ही लिया साथ ही साथ पांच मैचों की सीरीज में भी अजेय बढ़त बना ली. न्यूज़ीलैंड के पिछले दौरे में भारतीय टीम टी-20 सीरीज में हार गई थी. देखा जाए तो क्रिकेट की प्रचलित भाषा में उसका बदला भी भारतीय टीम ने ले लिया. अब आते हैं असली मुद्दे पर पर. हैमिल्टन टी-20 में विराट कोहली ने एक प्रयोग किया. जिसकी वजह से मैच में भारतीय टीम ने कम से कम 20 रन कम जोड़े. वरना एक वक्त पर स्थिति ऐसी थी कि भारतीय टीम आसानी से 200 रनों के पार पहुंचती दिख रही थी. लेकिन अंत में स्कोरबोर्ड पर रन जुड़े- 179 .
बेवजह प्रयोग क्यों करते हैं विराट
हैमिल्टन में एक बार फिर विराट कोहली ने प्रयोग किया. वो नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने नहीं आए. इसका नुकसान टीम इंडिया को हुआ. केएल राहुल और रोहित शर्मा ने जो शानदार शुरुआत की थी उसका फायदा टीम इंडिया पूरी तरह नहीं उठा पाई. हाल के दिनों मे ये दूसरी बार हुआ है जब विराट कोहली ने अपनी पारंपरिक नंबर तीन की पोजीशन पर बल्लेबाजी नहीं की है. दोनों ही बार ये प्रयोग टीम को महंगा पड़ा.
आपको याद दिला दें कि इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे मैच में विराट कोहली नंबर तीन की बजाए नंबर चार पर बल्लेबाजी करने आए थे. उस मैच में भारत को दस विकेट से बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. अब वापस हैमिल्टन टी-20 की बात करते हैं. केएल राहुल और रोहित शर्मा ने तीसरे टी-20 में भारत को जबरदस्त शुरुआत दी. टीम इंडिया ने सिर्फ 5.3 ओवर में पचास रन बना लिए थे. पावरप्ले के बाद टीम इंडिया का स्कोर था- बगैर कोई विकेट खोए 69 रन. इसके बाद 9 वें ओवर की आखिरी गेंद पर केएल राहुल आउट हुए. इसके बाद मैच में पूरे 11 ओवर बाकी थे. इस वक्त भारत का स्कोर था- 89 रन. यानी भारतीय टीम 9.88 की रनरेट से रन बना रही थी. विराट कोहली चाहते तो यहां से आकर मैच में रनों की रफ्तार को कायम रख सकते थे. मुमकिन है कि उन्हें क्रीज पर निगाहें जमाने में थोड़ा वक्त लगता लेकिन उनकी आक्रामकता पूरी दुनिया जानती है. बावजूद इसके उन्होंने शिवम दुबे को बल्लेबाजी करने के लिए भेज दिया.
शिवम दुबे को भेजने के फैसले पर उठेंगे सवाल
शिवम दुबे 10वें ओवर की चार गेंदों में अपना खाता तक नहीं खोल पाए. बल्लेबाजी में दूसरे छोर पर इसका दवाब रोहित शर्मा की बल्लेबाजी में भी दिखा. वो 65 रन बनाकर आउट हो गए. जल्दी ही शिवम दुबे भी आउट होकर पवेलियन लौट गए. विराट कोहली इसके बाद बल्लेबाजी करने के लिए आए. लेकिन 10वें, 11वें और 12वें ओवर ने भारतीय टीम की अच्छी खासी रनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया. 10वें ओवर में भारतीय टीम के स्कोरबोर्ड में सिर्फ 3 रन जुड़े, 11वें ओवर में 4 रन और 12वें ओवर में भी 3 रन ही जुड़े. 12 ओवर तक आते आते भारत का स्कोर हो गया था- 3 विकेट पर 99 रन. रन रेट घटकर 8.25 पर पहुंच गया. आखिरकार भारतीय टीम 179 रन ही बना पाई. पहले 9 ओवर में 89 रन और अगले 11 ओवर में 90 रन. विराट कोहली की किस्मत अच्छी है कि मोहम्मद शमी की गेंदबाजी और रोहित शर्मा की बल्लेबाजी के करिश्मे से टीम इंडिया ने मैच और सीरीज जीत ली. टी-20 विश्व कप के साल में विराट कोहली को ऐसे प्रयोगों से बचना होगा.
सुपरहिट जीत तो मिली लेकिन विराट ने बेवजह प्रयोग क्यों किया?
ABP News Bureau
Updated at:
31 Jan 2020 10:14 AM (IST)
न्यूज़ीलैंड में टीम इंडिया ने पहली बार टी-20 सीरीज जीतकर इतिहास रच दिया. सुपर ओवर में मिली जीत का रोमांच लंबे समय लोगों को याद रहेगा. पढ़िए वरिष्ठ खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह का लेख
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