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विराट की कप्तानी पर स्मिथ और गावस्कर का हमला, कहा- समझाने वाला कोई नहीं
होम ग्राउंड पर ऐतिहासिक सीरीज जीत के बाद विराट कोहली के नेतृत्व में भारतीय टीम तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने साउथ अफ्रीका पहुंची और सीरीज खत्म होते-होत कोहली की कप्तानी पर सवाल उठने लगे.
विराट कोहली को समझाने वाला कोई नहीं? होम ग्राउंड पर ऐतिहासिक सीरीज जीत के बाद विराट कोहली के नेतृत्व में भारतीय टीम तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने साउथ अफ्रीका पहुंची और सीरीज खत्म होते-होत कोहली की कप्तानी पर सवाल उठने लगे.
विराट की कप्तानी को लेकर इस दौरे पर कई सवाल उठे हैं लेकिन इस बार सवाल उठाने वाले वो दो बड़े नाम हैं जिनको पूरी दुनिया ना सिर्फ सुनती है बल्कि उनके कहे पर अमल भी करती है.
विराट पर सबसे पहला बड़ा हमला किया टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा 108 मैच में कप्तानी करने वाले ग्रैम स्मिथ ने. उन्होंने कहा, 'जब मैं विराट को देखता हूं तो लगता है कि उन्हें स्पोर्ट स्टाफ में कोई ऐसा शख्स चाहिए जो उन्हें, उनके तरीकों को तार्किक ढंग से चैलेंज कर सके. कोई ऐसा शख्स जो विराट से बात कर सके, उन्हें समझा सके, सोचने पर मजबूर कर सके कि वो टीम को लेकर दूसरी संभावनाओं पर भी उनकी आंखें खोल सके. विराट के पास रणनीतिक तौर पर क्षमता है, उन्हें अपना गेम पता है और मैदान में वो खुद और दूसरों के लिए एक मानक तय करते हैं, लेकिन जब तक एक तार्किक शख्स उनके आस पास नहीं रहेगा वो एक महान लीडर नहीं बन पाएंगे.'
स्मिथ की ये बात गौर करने वाली भी है क्योंकि मौजूदा समय में हिंदुस्तानी क्रिकेट विराट के इर्द गिर्द ही घूम रही है. कोच रवि शास्त्री भी विराट की हां में हां ही मिलाते दिखते हैं और सलेक्टर, बीसीसीआई सब विराट भरोसे दिख रहे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या
विराट को रोकने वाला कोई नहीं रह गया ? क्या कोच, सपोर्ट स्टाफ सिर्फ विराट की हां में हां मिलाते हैं?
टेस्ट क्रिकेट में दिक्कत ये है कि विराट के पास महेन्द्र सिंह धोनी भी नहीं हैं जिनकी बात वो सुन सकें. वनडे में तो विराट को धोनी ना सिर्फ राय देते हैं बल्कि कई मुश्किल हालातों में वो कप्तानी भी करते हैं. लेकिन टेस्ट में विराट बिल्कुल अकेले हैं.
प्लेइंग इलेवन से लेकर उप कप्तान अजिंक्य रहाणे को बाहर करने के फैसले विराट पर इसलिए ही भारी पड़ रहे हैं क्योंकि कोई उन्हें समझाने वाला नहीं है. कोच आते हैं तो वो रहाणे को बाहर करने की गलती पर भी विराट की ही माला जपते हैं.
स्मिथ ने जब विराट की कप्तानी पर सवाल उठाए तो गावस्कर ने मजाक में ही सही, ये तक कह दिया कि विराट की जगह लेने के लिए अजिंक्य रहाणे तैयार हैं. एक क्रिकेटर के तौर पर विराट की सोच का स्तर बहुत ऊंचा है, जैसा टीम इंडिया के बहुत खिलाड़ियों का नहीं है. तो ऐसे में विराट को पहले खिलाड़ियों के सोच के स्तर पर जाना होगा फिर उन खिलाड़ियों में वो सोच भरनी होगी और फिर टीम को ऊपर उठाना होगा.
विराट युवा हैं और उनकी सोच भारतीय क्रिकेट को वर्ल्ड क्रिकेट का बादशाह बनाने की है. लेकिन अच्छा लीडर वही होता है जो अपनी टीम से असंभव काम भी संभव करा ले. लेकिन विराट की आक्रामकता ही कई बार उनकी टीम के खिलाड़ियों के कॉन्फिडेंस को डिगा देती है. केएल राहुल दूसरे टेस्ट में आउट हुए तो विराट ड्रेसिंग रुम में उन पर चिल्ला बैठे. ऐसे कई उदाहरण हैं. लेकिन यहां बड़ा सवाल ये है कि अगर विराट इसी तरह चाटुकारों से घिरे रहेंगे, गलत फैसलों पर कोई उन्हें टोकेगा नहीं, तो टेस्ट में उनकी कप्तानी कब तक बचेगी.