भारतीय क्रिकेट टीम श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के साथ साउथ अफ्रीका दौरे की तैयारियों में जुटी है. लेकिन टीम को नागपुर और दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर मांग के हिसाब से पिच नहीं मिली. इस बात को लेकर काफी सवाल किए जा रहे हैं लेकिन भारत के सहायक कोच संजय बांगड़ ने क्यूरेटरों का बचाव करते हुए कहा कि भारत विविधता वाला देश है और यहां हर मैदान पर एक जैसी पिच तैयार करना संभव नहीं है.



नागपुर में दूसरे टेस्ट के दौरान स्पिनर अधिक प्रभावी रहे थे जबकि यहां कोटला पर तीसरे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट के पहले दिन भारत ने बल्लेबाजी की अनुकूल पिच पर पहले दिन चार विकेट पर 371 रन बनाए.

बांगड़ ने पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद संवाददातओं से कहा, ‘‘भारत विविधता वाला देश है जिससे पिच की प्रकृति एक जैसी नहीं हो सकती. क्षेत्र दर क्षेत्र विकेट की प्रवृति अलग होती है. हम घास की मौजूदगी वाली तेजी और उछाल से भरी पिच चाहते थे. क्यूरेटर सिर्फ इतना ही कर सकते हैं क्योंकि यह सब मिट्टी की प्रकृति पर निर्भर करता है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप उम्मीद नहीं कर सकते कि मुंबई का विकेट दिल्ली के विकेट की तरह खेले और कोलकाता का विकेट नागपुर के विकेट की तरह. यह क्रिकेट की खूबसूरती है. आप कुछ चीज चाहते हैं लेकिन क्यूरेटर आपको ठीक वही चीज नहीं दे सकता. ’’

मुरली विजय लगातार दूसरा शतक जड़ने के बाद खराब शॉट खेलकर विकेट गंवा बैठे जिस पर बांगड़ ने कहा कि यह सलामी बल्लेबाज भी अपने शॉट चयन से निराश होगा.

पूर्व भारतीय क्रिकेट बांगड़ ने कहा, ‘‘वह (विजय) जिस तरह से आउट हुआ उससे निराश होगा. वह ऐसा खिलाड़ी है जो अपने खेल पर कड़ी मेहनत करता है. पिछले मैच में और इस मैच में उसके शॉट चयन में खामी दिखी जिससे वह निराश होगा. लेकिन वह स्तरीय खिलाड़ी है. विदेशों में उसका रिकॉर्ड शानदार है और उसमें वापसी करने की क्षमता है. ’’

सभी खिलाड़ियों के अच्छा प्रदर्शन करने के कारण कुछ अच्छे खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन से बाहर बैठना पड रहा है जिस पर बांगड़ ने कहा, ‘‘टीम मैनजमेंट का विचार स्पष्ट है कि खिलाड़ी की फॉर्म मापदंड है. हमारे लिए यह चयन सिरदर्द है क्योंकि सभी बल्लेबाज काफी अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं और जिसे भी मौका मिल रहा है वह इसका फायदा उठा रहा है. मत भूलिये कि क्रिकेटरों का भी जीवन है और अगर कोई खिलाड़ी निजी कारणों से ब्रेक लेना चाहता है तो आपको इसकी सराहना करनी चाहिए. टीम मैनेजमेंट का स्पष्ट है कि प्लेइंग इलेवन के चयन के मामले में खिलाडियों की फॉर्म और उनकी मानसिकता सर्वोच्च है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘आपको अपने प्रदर्शन में निरंतरता दिखानी होगी. हर खिलाड़ी हर समय अपने खेल के किसी ना किसी पहलू में सुधार की कोशिश करता है. फिर वह चाहे अच्छी फॉर्म में हो या खराब फॉर्म में. हमारी तैयारी सभी खिलाड़ियों के लिए समान है. जहां तक आत्मविश्वास की बात है तो अगर कोई खिलाड़ी फॉर्म में नहीं है और रन नहीं बना पा रहा तो यह काफी हद तक उसकी मानसिकता पर भी निर्भर करता है. तब यह अहम हो जाता है कि खिलाड़ी के दिमाग में नकारात्मक विचार को नहीं आ रहे और अगर आ रहे हैं तो क्या और उसे कैसे सकारात्मक विचारों में बदला जाए. हम इन चीजों के बारे में बात करते हैं. (प्रदर्शन करने की) भूख सभी खिलाड़ियों में समान है.’’

बांगड़ ने साथ ही कहा कि प्लेइंग इलेवन के चयन में अपनी और विरोधी टीम का संयोजन भी मायने रखता है. उन्होंने कहा, ‘‘हम मैच से पहले खिलाड़ियों के आंकड़ों का पूरा आकलन करते हैं. उनके पास क्या विविधताएं हैं. वे कितने लंबे स्पैल फेंक सकते हैं. कुछ गेंदबाज ओवर का विकेट गेंदबाजी करने को प्राथमिकता देते हैं जबकि कुछ रन रोकना चाहते हैं. हम बल्लेबाज समूह के रूप में विकल्पों पर चर्चा करते हैं और इसे विरोधी की विविधता और क्षमता के अनुसार परखते हैं. खिलाड़ी भी इन बातों को समझते हैं कि हर मैच में खेलना संभव नहीं है. शिखर काफी अच्छी फॉर्म में है और यहां ही नहीं बल्कि श्रीलंका में भी उसने शानदार प्रदर्शन किया. जब आपके पास बायें हाथ का स्पिनर और ऑफ स्पिनर हो तो आपको विरोधी टीम के संयोजन पर भी ध्यान देना होता है और यह भी देखना होता है कि दायें और बायें हाथ की जोड़ी से आपको मदद मिलेगी. प्लेइंग इलेवन चुनते समय आपको इन सभी चीजों को ध्यान में रखना होता है.’’

अजिंक्य रहाणे मौजूदा सीरीज की चार पारियों में 4, 0, 2 और 1 रन ही बना पाए हैं लेकिन बांगड़ ने उनका बचाव करते हुए कहा कि दाएं हाथ का यह बल्लेबाज स्तरीय खिलाड़ी है और जल्द ही वापसी करेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘विदेशों में उसका रिकॉर्ड शानदार है. बांग्लादेश के अलावा वह प्रत्येक दौरा करने वाले देश में शतक जड़ने वाले कुछ खिलाड़ियों में शामिल है. यह उसके स्तर को दिखाता है. वह स्तरीय खिलाड़ी है और मुश्किल मौकों पर टीम के लिए रन बना चुका है.’’