नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट मैच की मेजबानी के लिए तैयार मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में पिछले पांच साल के अंदर खेले गए दो टेस्ट मैचों में केवल स्पिन गेंदबाजों की तूती बोलती रही और इस दौरान अधिकतर तेज गेंदबाजों की भूमिका महज खानापूर्ति करने तक सीमित रही.
भारत पांच मैचों की सीरीज में अभी इंग्लैंड पर 2-0 की बढ़त बनाए हुए है. भारत आठ दिसंबर से वानखेड़े स्टेडियम में शुरू होने वाले चौथे टेस्ट मैच में अजेय बढ़त हासिल करने की कोशिश करेगा और माना जा रहा है कि इस बार यहां की पिच का मिजाज खास नहीं बदलेगा और फिर से स्पिनर अपना जलवा दिखा सकते हैं.
भारत का इंग्लैंड के खिलाफ 2012 में यहां स्पिन पिच पर खेलने का दांव उल्टा पड़ गया था तथा मोंटी पनेसर और ग्रीम स्वान के सामने उसकी बल्लेबाजी लड़खड़ा गयी थी. इंग्लैंड ने वह मैच दस विकेट से जीतकर सीरीज में वापसी की थी. वानखेड़े में खेले गये पिछले दो टेस्ट मैचों में स्पिनर किस कदर हावी रहे इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इन दो मैचों में गेंदबाजों के खाते में जो 58 विकेट गए उनमें से 52 विकेट स्पिनरों ने जबकि केवल छह विकेट तेज गेंदबाजों ने लिए.
वैसे भी वानखेड़े मैदान पर स्पिनर शुरू से हावी रहे हैं और आंकड़े भी इसके गवाह हैं. इस मैदान पर खेले गये 24 टेस्ट मैचों में स्पिनरों के नाम पर 414 और तेज गेंदबाजों के नाम पर 337 विकेट दर्ज हैं.
भारत टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी के लिए उतरा लेकिन चेतेश्वर पुजारा के 135 रन के बावजूद टीम 327 रन ही बना पायी. इंग्लैंड के लिए तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने एक विकेट लिया जबकि पनेसर ने पांच और स्वान ने चार विकेट चटकाए. भारत ने अश्विन और ओझा से ही गेंदबाजी का आगाज करवाया लेकिन एलिस्टेयर कुक और केविन पीटरसन पर उनका जादू नहीं चला. इन दोनों ने शतक जड़े और इंग्लैंड 413 रन बनाने में सफल रहा.
भारत जब दूसरी पारी खेलते उतरा तो पिच पूरी तरह से स्पिनरों को मदद कर रही थी. इसका पूरा फायदा उठाते हुए पनेसर ने छह और स्वान ने चार विकेट निकालकर भारत को 142 रन पर ढेर कर दिया. इंग्लैंड को 57 रन का लक्ष्य मिला जो इंग्लैंड ने बिना विकेट खोये हासिल कर दिया. इस तरह से इस मैच में गेंदबाजों ने 29 विकेट लिए और इनमें से 28 विकेट स्पिनरों के खाते में गए. पनेसर 11 और स्वान आठ विकेट लेकर अपने भारतीय समकक्षों पर हावी रहे.
इसके बाद 2013 में भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ सचिन तेंदुलकर के विदाई मैच के लिये भी स्पिन पिच तैयार करवायी. इस मैच में पूरी तरह से भारतीय स्पिनर हावी रहे. भारत ने केवल तीन दिन में पारी और 126 रन से जीत दर्ज की. इस मैच में भी गेंदबाजों ने 29 विकेट हासिल किये जिसमें से स्पिनरों ने 24 और तेज गेंदबाजों ने पांच विकेट हासिल किये थे.
वेस्टइंडीज जब दूसरी पारी के लिये उतरा तो अश्विन (पांच विकेट) और ओझा (चार विकेट) के सामने उसके बल्लेबाज नौसिखिये साबित हुए और उसकी पूरी टीम 187 रन पर ढेर हो गयी. भारत की वर्तमान टीम में शामिल अश्विन इन दोनों मैचों में खेले थे लेकिन तब उन्होंने सहयोगी गेंदबाज की भूमिका ही निभायी थी. अश्विन ने वानखेड़े में वैसे तीन टेस्ट मैच खेले हैं और उनमें उन्होंने 18 विकेट लिए हैं.
इंग्लैंड की निगाह हालांकि वानखेड़े में जीत की हैट्रिक पूरी करने पर लगी रहेगी. इस मैदान पर लगातार तीन मैच गंवाने के बाद इंग्लैंड ने यहां जो पिछले दो मैच खेले उनमें उसने जीत दर्ज की. इंग्लैंड ने 2006 में 212 रन से और 2012 में दस विकेट से जीत हासिल की थी.
वानखेड़े में भारत और इंग्लैंड के बीच अब तक कुल सात टेस्ट मैच खेले गये हैं जिनमें से दोनों टीमों ने तीन-तीन में जीत दर्ज की जबकि एक मैच ड्रॉ रहा. इन दोनों टीमों के बीच 1980 से लेकर अब तक खेले गये हर मैच का परिणाम निकला है.