शिवेंद्र कुमार सिंह, वरिष्ठ खेल पत्रकार
नागपुर टेस्ट में सबकुछ काबू में है. भारत के पास चार सौ से ज्यादा रनों की बढ़त है. टेस्ट मैच में अभी पूरे दो दिन का खेल बाकी है. मौसम भी कुछ ऐसा करता नहीं दिख रहा जैसा उसने कोलकाता में किया था. कुल मिलाकर अनिश्चितताओं से भरे होने के बावजूद इस मैच को लेकर ये बात कही जा सकती है कि भारतीय टीम जीत के रास्ते पर है.
श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने पहली पारी में जिस तरह का कमजोर प्रदर्शन किया था, उसे याद करके इस बात को कहना और आसान हो जाता है. आपको याद दिला दें कि पहली पारी में श्रीलंका की टीम 205 रनों पर ऑल आउट हो गई थी. नागपुर में भारत के लिए मुरली विजय, चेतेश्वर पुजारा, कप्तान विराट कोहली और रोहित शर्मा ने शतक जड़े. विराट कोहली ने तो शानदार दोहरा शतक बनाया.
इन सारी बातों के बाद भी चेतेश्वर पुजारा के शतक पर चर्चा होनी चाहिए. इस बात में शायद ही किसी को संदेह हो कि वो एक जबरदस्त भरोसेमंद बल्लेबाज हैं, लेकिन पिछले एक दशक में टेस्ट क्रिकेट में आए बदलाव के बाद ये सवाल उठना लाजमी है कि क्या वो बदलते वक्त के साथ अपनी बल्लेबाजी की रफ्तार बढ़ा नहीं पा रहे हैं. वो भी तब जबकि उनके ऊपर किसी किस्म का कोई दबाव नहीं था. इसबात पर चर्चा इसलिए भी होगी क्योंकि कप्तान विराट कोहली उन्हें इसके लिए पहले भी टोक चुके हैं. आगे आपको पूरी कहानी बताएंगे.
चारों बल्लेबाजों के शतक का फर्क देखिए
नागपुर टेस्ट में भारत के लिए पहला शतक लगाया मुरली विजय ने, मुरली विजय ने 100 रन 187 गेंद पर बनाए. भारत के दूसरे शतकवीर बने चेतेश्वर पुजारा. पुजारा ने 100 रन 246 गेंद पर बनाए. तीसरे शतकवीर विराट कोहली का आंकड़ा देखिए. उन्होंने सिर्फ 130 गेंदों पर शतक लगाया. दोहरे शतक के लिए उन्होंने 259 गेंदें खेली. चौथे शतकवीर रोहित शर्मा ने भी 160 गेंदों पर अपना शतक पूरा कर लिया. इन आंकड़ों का फर्क आपको साफ समझ आ रहा होगा. कुल स्कोर के लिहाज से मुरली विजय ने करीब 58, विराट कोहली का स्ट्राइक रेट करीब 80 का था, रोहित शर्मा ने करीब 64 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए लेकिन चेतेश्वर पुजारा का स्ट्राइक रेट था- 39.5. चूंकि टेस्ट मैच में समय की कोई कमी नहीं है इसलिए उनके शतक पर चर्चा हो रही है वरना अगर समय की किल्लत होती तो उनके शतक पर नाक भौं सिकोड़ी जा रही होती. आप ये भी कह सकते हैं कि पुजारा ने इसीलिए धीमी बल्लेबाजी की क्योंकि उन्हें पता था कि समय की कोई कमी नहीं है लेकिन ये कहने से पहले करीब डेढ़ साल पहले के एक वाकए को जान लीजिए.
विराट सुस्त बल्लेबाजी पर पुजारा को टोक चुके हैं
पिछले साल जुलाई में भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर थी. सेंटपीटर्स में टेस्ट मैच खेला जा रहा था. उस टेस्ट मैच की पहली पारी में चेतेश्वर पुजारा ने 67 गेंद पर सिर्फ 16 रन बनाए थे. उस टेस्ट मैच में भी विराट कोहली ने दोहरा शतक लगाया था. आर अश्विन ने भी उस मैच में शतक ठोंका था. भारत ने वो टेस्ट मैच जीत लिया था इसलिए विराट कोहली ने पुजारा की बल्लेबाजी को नजरअंदाज कर दिया. अगला टेस्ट मैच किंग्सटन में था. इस टेस्ट मैच में पुजारा ने 159 गेंद खेलकर सिर्फ 46 रन बनाए. ये टेस्ट मैच वेस्टइंडीज ने ड्रॉ करा लिया. वो भी तब जबकि पहली पारी में भारतीय गेंदबाजों ने वेस्टइंडीज को 200 रनों के भीतर ही आउट कर दिया था. इस टेस्ट मैच के ड्रॉ होने के बाद विराट कोहली से नहीं रहा गया उन्होंने इस बारे में बाकयदा चेतेश्वर पुजारा से बात की. बातचीत के लहजे में वो अधिकार भी था जो किसी भी टीम के कप्तान के पास होता है. विराट कोहली ने सीधे शब्दों में पुजारा को बताया था कि अगर प्लेइंग 11 में बने रहना है तो क्रीज पर डेरा डालने की बजाए उन्हें रन बनाते रहने होंगे. इसके बाद के कुछ मैचों में पुजारा ने उनकी नसीहत को ध्यान में रखा भी था, यहां तक कि श्रीलंका के दौरे पर जब उन्होंने शतक लगाया तब उनकी स्ट्राइक रेट करीब 58 की थी.
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