{शिवेंद्र कुमार सिंह, वरिष्ठ खेल पत्रकार}


रविवार को भारत और श्रीलंका की टीम आमने सामने होंगी. दोनों टीमों का मकसद एक ही है. वनडे सीरीज के इस निर्णायक मैच में जीत हासिल करना. श्रीलंका भारत के दौरे पर टेस्ट सीरीज गंवा चुकी है. उसे अपनी किस्मत को पलटना है. दूसरी तरफ भारत को अपने दबदबे को बनाए रखना है. भारतीय टीम पूरे साल में किसी भी फ़ॉर्मेट में घरेलू सीरीज नहीं हारी है. दूसरी तरफ श्रीलंका की टीम को इस गुजरते साल में खेले गए 27 मैचों मे से सिर्फ 5 में जीत मिली है. जाहिर है कागजों पर भारतीय टीम श्रीलंका से कहीं आगे हैं. बस उसे अपनी साख के मुताबिक खेलना है. यूं भी रविवार का मैच सीरीज के साथ साथ और भी कई बातों के लिहाज से अहम है.

कुछ खिलाड़ियों के भविष्य का फैसला होगा
भारतीय टीम में कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जिनके लिए रविवार का मैच काफी हद तक ‘मेक ऑर ब्रेक’ का सवाल है. भारतीय टीम के नियमित कप्तान विराट कोहली, टीम के कोच रवि शास्त्री की निगाह पिछले 6 महीने से सिर्फ एक बात पर है. वो ये कि अगले विश्व कप के लिए कौन-कौन से खिलाड़ियों पर दांव खेलना है. हमेशा की तरह भारतीय टीम 90 फीसदी ‘पैक’ है लेकिन एक दो जगहों पर जहां किसी की किस्मत चमक सकती थी उसका फैसला विश्व कप से पहले हो रही सीरीजों से होना है. श्रीलंका के खिलाफ खेली जा रही सीरीज ऐसी ही एक सीरीज है. दिनेश कार्तिक और मनीष पांडे दो ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके प्रदर्शन पर सभी की नजर है. इन दोनों ही बल्लेबाजों को सीरीज के दोनों मैचों में प्लेइंग 11 का हिस्सा बनाया गया. मोहाली में तो इन दोनों की बल्लेबाजी की नौबत ही नहीं आई लेकिन धर्मशाला में जब ये क्रीज पर उतरे तो कुछ असर नहीं छोड़ पाए. मनीष पांडे 2 रन बनाकर आउट हो गए थे जबकि दिनेश कार्तिक खाता तक नहीं खोल पाए थे. इन दोनों के मुकाबले दूसरे वनडे में 23 साल के श्रेयस अय्यर ने जिस विश्वास के साथ बल्लेबाजी की उन्होंने करियर को बनाने वाली पारी खेल दी है. रविवार के मैच में अगर दिनेश कार्तिक और मनीष पांडे को मौका मिलता है और ये उसे भुनाने में कामयाब नहीं होते तो निश्चित तौर पर आने वाले वक्त में इन्हें बाहर बैठना होगा. भारतीय टीम के स्पिनर्स को लेकर भी हर एक मैच अहम है. हर एक मैच का प्रदर्शन ‘काउंट’ हो रहा है. विश्व कप में कौन से स्पिनर्स को आखिरी समय तक टीम का हिस्सा रखा जाएगा उसके लिए भी ये सीरीज अहम है.







 



रोहित शर्मा की कप्तानी पर फैसला
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि रोहित शर्मा के इस सीरीज के जीत लेने से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ने जा रहा है. विराट कोहली की वापसी के साथ ही वो टीम की कमान संभाल लेंगे. बावजूद इसके ये रोहित शर्मा के पास बड़ा मौका है जब वो बतौर कप्तान अपनी काबिलियत साबित कर सकते हैं. उन्होंने मुंबई की टीम को तीन बार आईपीएल चैंपियन बनाया है. ये मौका नेशनल टीम की कप्तानी का है, जिसकी जीत का सुख और संदेश दोनों बड़ा होता है. भविष्य में अगर कभी वनडे और टेस्ट की कप्तानी के अलग किए जाने को लेकर कोई फैसला होता है तो रोहित के तौर पर एक मजबूत दावेदार चयनकर्ताओं के पास होगा.

टीम इंडिया के दम-खम का फैसला
भारतीय टीम को ये भी साबित करना है कि उसे विराट कोहली के बिना जीतना आता है. अभी तक तो विराट कोहली की ऐसी आदत पड़ी हुई है कि करोड़ों क्रिकेट फैंस उनसे उम्मीदें लगाए बैठे रहते हैं. उनकी ‘छुट्टी’ के दौरान खेली जा रही ये सीरीज इस बात का फैसला भी करेगी कि कहीं विराट कोहली के बिना टीम इंडिया को जीतना आता है या नहीं. पिछले मैच की जीत ‘इंडीविजुअल ब्रिलिएंस’ का मामला है, जहां रोहित शर्मा ने अकेले दम पर टीम को जीत दिला दी. बेहतर होगा अगर टीम के बाकी बल्लेबाज भी, खास तौर पर मिडिल ऑर्डर के बल्लेबाज अपनी जिम्मेदारी को समझे और स्कोरबोर्ड पर बेहतर रन जोड़ें.