नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को आधिकारिक तौर पर साफ कर दिया है कि भारतीय टीम इस साल के आखिर में अपने ऑस्ट्रेलियाई दौरे में डे-नाइट टेस्ट मैच नहीं खेलेगी.


क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) दूधिया रोशनी में गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच के आयोजन के लिये जोर दे रहा है क्योंकि पिछले कुछ सालों में वहां का दौरा करने वाली टीमें डे-नाइट मैच खेलती रही हैं लेकिन भारतीय बोर्ड ने साफ किया है कि वह लाल गेंद के परंपरागत मैचों से नहीं हटेगा.


मुख्य कोच रवि शास्त्री की अगुवाई वाले भारतीय टीम मैनेजमेंट ने प्रशासकों की समिति (सीए) को बताया कि टीम को डे-नाइट टेस्ट मैच की तैयारी के लिये कम से कम 18 महीने की जरूरत पड़ेगी. इसके बाद कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी को सीए के मुख्य कार्यकारी जेम्स सदरलैंड तक संदेश पहुंचाने के लिये कहा गया.


सीए चाहता है कि एडिलेड में छह से दस दिसंबर तक होने वाला पहला टेस्ट मैच गुलाबी गेंद से खेला जाए.


चौधरी ने सदरलैंड को भेजे गये ईमेल में लिखा है, ‘‘प्रशासकों की समिति ने मुझे यह संदेश पहुंचाने का निर्देश दिया है कि भारत इस प्रारूप में लगभग एक साल बाद ही खेलना शुरू कर पाएगा. वर्तमान परिस्थितियों में मुझे यह कहते हुए खेद है कि प्रस्तावित दिन रात्रि टेस्ट मैच नहीं खेला जा सकता है और सभी टेस्ट मैच परंपरागत ढांचे में ही खेले जाएंगे.’’


पिछले सप्ताह सदरलैंड ने ऑस्ट्रेलिया में एक रेडियो स्टेशन से कहा था कि भारत इसलिए गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच नहीं खेलना चाहता है क्योंकि वह सीरीज जीतने के लिये बेताब है. ऑस्ट्रेलिया ने घरेलू सरजमीं पर अभी तक कोई दिन डे-नाइट मैच नहीं गंवाया है.


भारतीय खिलाड़ियों में केवल चेतेश्वर पुजारा और मुरली विजय ने ही दलीप ट्रॉफी में गुलाबी गेंद से डे-नाइट मैच खेला है.