Chinaman bowling: भारत और बांग्लादेश के बीच खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारतीय टीम के चाइनामैन गेंदबाज़ कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) शानदार लय मे दिखाई दिए. उन्होंने इस पहले मैच में 8 विकेट अपने नाम किए, साथ ही पहली पारी में उन्होंने बल्ले से योगदान देते हुए भी 40 रनों की पारी भी खेली थी. कुलदीप को इस परफॉर्मेंस के लिए मैन ‘ऑफ दे मैच’ से नवाज़ा गया. इस मैच में शानदार परफॉर्मेंस करने के बाद चाइनामैन गेंदबाज़ इंटरनेट पर ट्रेंड करने लगे. आइए जानते हैं क्या होती हैं चाइनामैन गेंदबाज़ी और कहां से इसका आविष्कार हुआ. 


क्या होती है चाइनामैन गेंदबाज़ी


क्रिकेट में आपने कई तरह की गेंदबाज़ी के बारे में सुना होगा, उसी में से ‘चाइनमैन’ भी गेंदबाज़ी की एक शैली है. मौजूदा वर्ल्ड क्रिकेट में चंद गेंदबाज़ ही इस शैली से गेंदबाज़ी कराते हैं, जिसमें कुलदीप यादव भी शामिल हैं. चाइनामैंन एक खास किस्म की स्पिन गेंदबाज़ी होती है. यह सिर्फ बाएं हाथ के स्पिनर्स के लिए होती है. इस गेंदबाज़ी की खास बात यह होती है कि राइट हेंडर बल्लेबाज़ के लिए गेंद अंदर की ओर जाती है, जबकि लेफ्ट हेंडर के लिए गेंद बाहर की ओर निकलती है. 


इसमें गेंदबाज़ अपनी कलाई का इस्तेमाल करता है और यह ऑर्थोडॉक्स लेफ्ट ऑर्म गेंदबाज़ी के से काफी अलग होती है. इस गेंदबाज़ी को बाएं हाथ के स्पिनर्स की गुगली भी कहा जाता है. कैसे शुरु हुई यह गेंदबाज़ी और कैसा इसका नाम ‘चाइनामैन’ पड़ा. आइए जानते हैं


कहां से हुई शुरुआत


इस गेंदबाज़ी की शुरुआत 1920 में हुई थी. इस गेंदबाज़ी का जनक रॉय किलनर को माना जाता है. रॉय किलनर इग्लैंड के काउंटी क्लब यॉर्कशायर के लिए खेला करते थे. किलनर कभी-कभी गेंदबाज़ी किया करते थे. लेकिन वह ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज़ी करते थे. फिर वो अपनी गेंदबाज़ी में गंभीरता लाए और एक शानदार गेंदबाज़ बने. किलनर अक्सर गेंदबाज़ी के दौरान उंगुलियों के अलावा कलाई का भी इस्तेमाल करते थे. किलर की जीवनी जिके मिक पोप मे लिखा गया कि किलनर के भाई और उनके साथी नॉर्मन ने बताया कि सही मायनों में किलनर ने ‘चाइनामैन’ शैली की खोज की थी.


किलनर के बाद उनके साथी लेलैंड ने 1931 में गेंदबाज़ी मे खूब नाम कमाया. लेलैंड हेंड रिस्ट स्पिन और गुगली फेंकते थे. 1967 में लेलैंड का निधन हो गया. इसके बाद बिल बोवेस के मुताबिक, वह (लेलैंड) ‘चाइनामैन’ शब्द के लिए ज़िम्मेदार थे. 


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