शिवेन्द्र कुमार सिंह,वरिष्ठ खेल पत्रकार


पूरे विश्वभर के क्रिकेट पर नजर डालिए आप पाएंगे कि पहले के मुकाबले अब टेस्ट मैचों में नतीजे ज्यादा आने लगे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बीच में इस बात की आशंका थी कि टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता तेजी से घट रही है. लोग मैच देखने के लिए स्टेडियमों में नहीं जाते क्योंकि पांच दिन का खेल देखने के बाद नतीजा नहीं निकलता. इसमें नुकसान हर किसी का था. आईसीसी से लेकर घरेलू बोर्ड तक सभी का. फिर इस सोच में बदलाव हुआ.


पिछले करीब एक दशक में बल्लेबाजों की एक ऐसी फौज दिखाई देने लगी जिसने टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी के अंदाज को ही बदल दिया. कहां तो टेस्ट मैच के पहले दिन के पहले सेशन में टीमें 40-45 रन जोड़कर पवेलियन लौटती थीं कहां ये स्कोर 100 के करीब या उसके पार पहुंचने लगा. वीरेंद्र सहवाग, एबी डीविलियर्स, क्रिस गेल, डेविड वॉर्नर जैसे खिलाड़ियों की बल्लेबाजी याद कीजिए. इन बल्लेबाजों की तेज बल्लेबाजी का ही नतीजा रहा कि मैचों में नतीजे निकलने लगे और टेस्ट क्रिकेट में भी लोगों को बल्लेबाजी देखने का लुत्फ आने लगा. हां, लॉर्ड्स की किसी आलीशान बालकनी में कोट टाई पहनकर मैच देखने वाले कुछ शुद्ध क्रिकेट प्रेमी इस बात से असहमत हो सकते हैं. टेस्ट मैचों में इस बदलती बल्लेबाजी के अंदाज में आज भारतीय टीम बहुत ताकतवर हो गई है. टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर में इस वक्त ऐसे बल्लेबाज हैं जिनका स्ट्राइक रेट कमाल का रहता है. टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम के बढ़ते दबदबे की वजह भी यही बल्लेबाज हैं.

टॉप ऑर्डर जोड़ता है तेज गति से रन
नागपुर टेस्ट मैच में भारत की तरफ से चार शतक लगे. इसमें विराट कोहली का दोहरा शतक भी शामिल है. इन चार शतकों में से चेतेश्वर पुजारा के शतक को छोड़ दें तो बाकि बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट कमाल का रहा. मुरली विजय ने 221 गेंद पर 128 रन बनाए. उनकी स्ट्राइक रेट करीब 58 की थी. विराट कोहली ने सिर्फ 267 गेंद पर 213 रनों की पारी खेली. विराट का स्ट्राइक रेट करीब 80 का रहा. रोहित शर्मा ने 160 गेंद पर नॉट आउट 102 रन बनाए. उन्होंने भी करीब 64 की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की. ये तीनों ही बल्लेबाज भारतीय टीम का नियमित हिस्सा हैं. इसके अलावा केएल राहुल और शिखर धवन भी टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर में शामिल रहते हैं. केएल राहुल ने भी करियर में जो 21 टेस्ट मैच खेले हैं उसमें उनका स्ट्राइक रेट करीब 58 है. 27 टेस्ट मैचों में शिखर धवन का स्ट्राइक रेट 66 से ज्यादा का है. जाहिर है ये सारे के सारे स्ट्रोक प्लेयर हैं. इन्हें बल्ले पर आती गेंद पर शॉट खेलना पसंद है. इनकी रणनीति क्रीज पर टिकने के साथ साथ स्ट्राइक ‘रोटेट’ करते रहने और स्कोरबोर्ड को आगे बढ़ाते रहने की रही है. यूं तो पिछले लंबे समय से भारतीय टीम में एक से एक धुरंधर बल्लेबाजों की फौज रही है लेकिन इस बात से शायद ही कोई इंकार करेगा कि स्ट्रोक प्लेयर के मामले में मौजूदा खिलाड़ी अपने पूर्ववर्ती खिलाड़ियों से इक्कीस हैं.

बल्लेबाजों की यही रफ्तार करती है विरोधी टीम पर वार
तेज गति से रन बनाने का सीधा फायदा टीम इंडिया के गेंदबाजों को मिलता है. उनके पास विरोधी टीम के बल्लेबाजों को आउट करने के लिए ज्यादा समय होता है. स्कोरबोर्ड पर जमा रन ओवर में दो-तीन बाउंड्री पड़ जाने की सूरत में भी भारतीय गेंदबाजों को ‘बैकफुट’ नहीं ले जाते. गेंदबाजों के पास इस बात की भी सहूलियत है कि अगर उनका प्लान ‘ए’ नहीं चल रहा है तो वो अपना पूरा समय लेने के बाद ही प्लान ‘बी’ पर शिफ्ट करें. यानी उन्हें किसी किस्म की जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव, मोहम्मद शमी, ईशांत शर्मा जैसे गेंदबाजों ने भारतीय टीम की तेज गेंदबाजी को नया पैनापन दिया है. आर अश्विन और रवींद्र जडेजा अपनी फिरकी से बल्लेबाजों को नचा ही रहे हैं, लेकिन ये भी सच है कि भारतीय टीम के टॉप ऑर्डर की तेज गेंदबाजी भारतीय टीम के गेंदबाजों के लिए सोने पे सुहागा की कहावत सच कर रही है.