शतक के साथ वनडे करियर की शुरुआत करने वाले लोकेश राहुल इस बात से काफी निराश हैं कि दो साल में उन्हें सिर्फ 13 बार मौका मिला है. हालाकि उन्होंने माना कि टीम में कभी भी मौका मिल सकता है ऐसे में अपने खेल को लगातार बेहतर करने के अलावा उनके पास कोई ऑप्शन नहीं है.
एशिया कप के सुपर फोर में अफगानिस्तान के खिलाफ औपचारिक हो चुके मुकाबले में राहुल को सलामी बल्लेबाज के रूप में प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया जहां उन्होंने 66 गेंद में 60 रनों की पारी खेली. राहुल के आउट होने के बाद भारतीय टीम काफी दबाव में आ गई थी और अंत में मुकाबला टाई हो गया.
मैच के बाद राहुल ने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि मुझे अपने खेल पर काम करना है. जैसी भी स्थिति हो मुझे उसका सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना है. कई बार यह निराशाजनक होता है लेकिन जिस तरह की प्रतिस्पर्धा है उसमें किसी का भी स्थान पक्का नहीं है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आपको अपनी बारी का इंतजार करना होता है. आपको धैर्य बनाए रखकर कड़ी मेहनत करनी होती है. जब मैं खेल नहीं रहा होता हूं तो मैं चुपचाप बैठकर खीझ सकता हूं कि मैं क्यों नहीं खेल रहा हूं, लेकिन मैं उस समय का उपयोग अपनी फिटनेस और खेल सुधारने में करता हूं.’’
राहुल का वनडे करियर भले ही 13 मैच का हो लेकिन वह बल्लेबाजी क्रम में अब तक चार अलग अलग स्थानों पर बल्लेबाजी कर चुके हैं. इनमें से सात बार वह पारी का आगाज करने के लिये उतरे. राहुल ने कहा कि टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करने में वह सहज महसूस करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘बल्लेबाजी क्रम में अलग-अलग स्थानों पर खेलना चुनौतीपूर्ण है. मैं जूनियर क्रिकेट से ही टॉप ऑर्डर में खेलता रहा हूं और यह मेरे लिए सबसे सहज स्थान है.’’
राहुल ने कहा, ‘‘लेकिन टीम वाले खेल में आपको को लचीला होना पड़ता है और टीम को आपको जो भी जिम्मेदारी सौंपे उसे स्वीकार करके अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है. दुर्भाग्य से मिडिल ऑर्डर में मुझे जो मौके मिले वह मेरे लिए अनुकूल नहीं रहे.’’