अनुराग श्रीवास्तवा


भारतीय क्रिकेट में एक परंपरा रही है, जो चढता है उसे ही सलाम किया जाता है. बड़े बड़े नाम इसकी भेंट चढ़े और अनजान सिकंदर बन गए. रोहित शर्मा श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज़ में कप्तान बनेंगे. इंटरनेशनल क्रिकेट में लगभग दस साल पहले रोहित ने अपनी चमक और धमक दोनों पहली बार दिखाई थी. रोहित एक अद्भुत, अविश्वनीय और अकल्पनीय टाइप के टैलेंट है जिनका मुरीद सुनील गावस्कर से लेकर गोरखपुर का सोनू भी है. जब रोहित इंटरनेशनल क्रिकेट में धूम मचा रहे थे तो उस समय विराट घरेलू क्रिकेट ही खेल रहे थे. रोहित के इंटरनेशनल डेब्यू के एक साल बाद विराट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा. रोहित को शुरुआत से ही टीम इंडिया का अगला कप्तान प्रोजेक्ट किया जा रहा था. लेकिन पहले धोनी और उसके बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में धूमकेतू की तरह चमके विराट ने उन्हें उप कप्तानी की कुर्सी पर ही बिठाए रहा. अब रोहित कप्तान बने भी हैं तो महज इसलिए क्योंकि विराट गए हैं इटली. श्रीलंका के खिलाफ क्या विराट कैप्टन इन वेटिंग का ये तमगा खुद से हटा पाएंगे. ये बड़ा सवाल है



रोहित के साथ गड़बड़ क्या हुई ?



रोहित शर्मा और विराट कोहली में अंतर समझना बहुत जरूरी है. ये अंतर बैटिंग में भी है, जीवनशैली में भी है और जिंदगी में भी है. पहले बात रोहित की करते हैं . रोहित शर्मा अपने दादा दादी और चाचाओं के पास मुंबई के बोरिवली में बचपन में रहे जबकि उनके माता पिता मुंबई के ही डॉम्बिवली में एक कमरे के मकान में रहते थे. पिता स्टोरकीपर थे लिहाजा सैलरी कम थी. अब एक बच्चा जो दादा-दादी और चाचा- चाची के पास बचपन से रहा है उसके लिए जिद करने की ज्यादा गुंजाइश नहीं रहती. वो थोड़ा दबा- कुचला ही रहता है स्वभाव में. रोहित में रनों की भूख तो है लेकिन अरे मुझे देखो मैं कौन हूं- वाली भूख नहीं है. इससे उलट विराट कोहली एक तो पंजाबी हैं और वो भी पश्चिम दिल्ली के. तो थोड़े लाउड तो उनके डीएनए में है. अभाव विराट ने भी बचपन में देखा है लेकिन उनके अंदर एक आक्रामकता है, जो जीवन के हर पहलू में दिखता है. मैदान पर भी चाहे वो बैटिंग हो, कप्तानी हो, फील्डिंग हो या फिर गेंदबाज़ी, विराट हर समय आक्रामकता का तकिया अपने साथ रखते हैं. वहीं दूसरी तरफ रोहित शर्मा जो सफलता रास्ते में आ रही है, उसे शांति के साथ स्वीकारते नजर आते हैं.


सचिन की भविष्यवाणी


जब सचिन रिटायर हो रहे थे तो उन्होंने मुकेश अंबानी के यहां एक कार्यक्रम में भविष्यवाणी की थी कि रोहित और विराट भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं. खुद सचिन भी मानते हैं कि रोहित एक अद्भुत प्रतिभा के क्रिकेटर हैं और नेचुरल कप्तान हैं. लेकिन विराट की आक्रामकता , उनके तेवर दिखता है वही बिकता की तर्ज पर हिट है. जबकि कप्तानी की बात करें तो रोहित बेहद परिपक्व कप्तान हैं. IPL को तीन बार जीतने वाले इकलौते कप्तान हैं. मुंबई रणजी टीम की कप्तानी करते हैं और एक एक खिलाड़ी कसम खा सकता है कि रोहित के पास हर समस्या का समाधान होता है. मुसीबत के समय रोहित की लीडरशिप और निखरती है. साल 2013 में जब रिकी पॉन्टिंग ने IPL में मुंबई इंडियंस की कप्तानी अचानक छोड़ दी थी तब रोहित ने कमान संभाली और टीम को IPL और चैम्पियंस लीग का खिताब दिलाया. इसी तरह साल 2015 में जब शुरुआती मैच हारकर मुंबई अंकतालिका में नीचे थी तो रोहित ने कमान संभाली और मुंबई को चैम्पियन बनाया. इसी तरह 2017 में भी मुंबई की जीत रोहित की कप्तानी की काबिलियत को बताता है.


टीम की कमान और बल्लेबाजी की जान


जांघ की चोट से 8 महीने बाद आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया में वापसी करने वाले रोहित शानदार फॉर्म में हैं. वापसी के बाद शुरुआती 18 मैचों में रोहित के आंकड़े विराट से ज्यादा अच्छे हैं.
रोहित विराट
मैच 18 18
रन 1076 1031
शतक 05 04
रोहित शानदार फॉर्म में भी हैं और श्रीलंका के खिलाफ भले ही तीन मैचों के लिए हो लेकिन कप्तानी भी उनके पास हैं. अगर उन्होंने इसमें बैटिंग और कप्तानी में कमाल दिखाया और बाकी मैचों में वो कंसिस्टेंट रहे तो कुछ उम्मीद जगती है. टीम इंडिया को अगले 18 महीने विदेश में ही खेलने हैं. इन पिचों पर विराट का कड़ा इम्तिहान होगा. खुदा ना खास्ता अगर परिणाम पक्ष में नहीं आए और विराट पर कोई दबाव पड़ा तो रोहित का लग सकता है चांस. लेकिन अगर विराट इन विदेशी दौरे पर कमाल कर गए तो फिर रोहित शर्मा कैप्टन इन वेटिंग ही रह जाएंगे, इसके खतरे से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता.


 


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