2011 विश्व कप में भारतीय क्रिकेट फैंस का दीवानापन याद कीजिए. ये दीवानापन इसलिए और ज्यादा था क्योंकि विश्व कप भारत में ही खेला जा सकता था. हर तरफ बस एक ही चर्चा थी कि ये विश्व कप सचिन तेंदुलकर के लिए जीतना है. यहाँ तक कि टीम के बाकि खिलाड़ी भी यही बात कहते थे कि ये विश्व कप सचिन के लिये जीतना है. ये जोश और उत्साह इसलिए था क्योंकि हर खिलाड़ी को लगता था कि सचिन तेंदुलकर ने बीस साल से ज्यादा के अपने करियर में हिंदुस्तान की क्रिकेट को जो कुछ दिया है उसके बदले में उनका एक अधूरा सपना पूरा करना है.
2011 विश्व कप तक सचिन तेंदुलकर 5 विश्व कप खेल चुके थे लेकिन उनकी टीम कभी ख़िताब पर क़ब्ज़ा नहीं कर पाई थी. सचिन के नाम पर क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक के लगभग सारे रिकॉर्ड्स थे लेकिन विश्व कप उनके पास नहीं था. आख़िरकार 2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत ने श्रीलंका को हराकर विश्व कप जीता. सचिन का सपना पूरा हुआ. लाखों हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हुआ.
उस सपने को पूरा करने में महेंद्र सिंह धोनी का बहुत बड़ा रोल था. फाइनल में भी उन्हें ही मैन ऑफ़ द मैच चुना गया था. आज आठ साल बाद उसी धोनी को एक और विश्वकप जीत का तोहफ़ा देने के लिए खिलाड़ी तैयार हैं. फ़र्क़ बस इतना है कि अब धोनी सिर्फ एक खिलाड़ी हैं क्योंकि कप्तानी विराट कोहली संभालते हैं.
धोनी का आखिरी टूर्नामेंट हो सकता है विश्व कप
इस बात के क़यास जमकर लगाए जा रहे हैं कि ये धोनी का आखिरी विश्व कप है. धोनी ने अब तक अपने करियर का हर फैसला बिना किसी शोरगुल के किया. वो अचानक बडे फ़ैसले का ऐलान करते हैं. धोनी फ़िलहाल 38 साल के हैं. टेस्ट क्रिकेट से वो वैसे भी संन्यास ले चुके हैं. फटाफट क्रिकेट उनके दिल के बहुत क़रीब है इसलिये वो वनडे क्रिकेट खेलते रहे. वन डे टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला भी उन्होंने रातोंरात लिया था. जिसके बाद कप्तानी विराट कोहली के पास आ गई. इस सीज़न में आईपीएल फाइनल में वो अपनी टीम को जीत नहीं दिला पाए.
पूरे सीज़न में उनकी टीम मुंबई इंडियंस का काट नहीं खोज पाई और उसे चार मैचों में हार मिली. धोनी अगले सीज़न में फिर मैदान में उतरेंगे इस बात की संभावना ना के बराबर है. क्योंकि वो कतई उस विचार के खिलाड़ी नहीं हैं जो टीम पर बोझ बनकर रहे. लिहाजा 2019 विश्व कप उनका आखिरी विश्वकप माना जा रहा है.
कोहली को है धोनी की महानता का अहसास
विराट कोहली आए दिन महेंद्र सिंह धोनी की तारीफ करते हैं. उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि धोनी जैसा समर्पित खिलाड़ी और कोई नहीं. उनके लिए किसी भी सूरत में टीम से बढ़कर कुछ नहीं होता. उनके अनुभव का फायदा हम सभी को मिलता है. विकेट के पीछे उनका योगदान बहुमूल्य है. ये भी एक दिलचस्प संयोग ही है कि भारतीय में इस बार तीन-तीन विश्व चैंपियन खेल रहे हैं.
बतौर कप्तान धोनी ने 2011 का विश्व कप जीता था. टीम इंडिया के मौजूदा कप्तान विराट कोहली भी 2011 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा थे. इसके अलावा मौजूदा कोच रवि शास्त्री 1983 में पहली बार विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा थे. इस टीम में विराट कोहली, रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा और भुवनेश्वर कुमार जैसे खिलाड़ी हैं जिन्हें धोनी ने करियर के शुरूआती दिनों में जमकर सपोर्ट किया है. कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल जैसे गेंदबाज हैं जो अपनी कामयाबी का बड़ा श्रेय धोनी को देते हैं. लिहाजा इस बार टीम इंडिया का नारा साफ है. और वो नारा है- ये विश्व कप धोनी का है.