शिवेन्द्र कुमार सिंह, वरिष्ठ खेल पत्रकार 



इस सीरीज में इंग्लिश बल्लेबाज का हेलमेट टूटा है. इस सीरीज में इंग्लिश बल्लेबाज अपना मुंह बचाने के चक्कर में कैच थमा कर पवेलियन लौटे हैं. इस सीरीज में जिस बल्लेबाज ने ‘फ्रंटफुट’ पर आकर खेलने की कोशिश की उसे उल्टे कदम पवेलियन लौटना पड़ा. इस सीरीज में इंग्लैंड के बल्लेबाज खौफ में हैं. क्रिकेट की दुनिया को चौंकाने वाली और भारतीय फैंस को खुश करने वाली बात ये है कि ये खौफ भारत के तेज गेंदबाजों का है. आम तौर पर भारत दौरे से पहले दुनिया भर की टीमें भारत के स्पिनर्स से खौफ खाती हैं लेकिन इस सीरीज ने इस सोच को उलट दिया है. अब भारत के तेज गेंदबाज विरोधी टीम के बल्लेबाजों को डरा रहे हैं. इसीलिए मंगलवार को अनिल कुंबले ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेज गेंदबाजों के इस योगदान की जमकर तारीफ की. उन्होंने खुलकर कहाकि इस सीरीज में 2 टेस्ट मैचों की जीत में तेज गेंदबाजों का योगदान जबरदस्त रहा. किसी तेज गेंदबाज ने भले ही 5 विकेट नहीं लिए लेकिन उन्होंने टीम को जरूरत के समय पर ‘ब्रेकथ्रू’ दिलाया. जंबो इस बात से भी खुश नजर आए कि तेज गेंदबाजों ने अलग अलग मिजाज की पिचों पर अच्छा खेल दिखाया. उन्होंने राजकोट, विशाखापत्तनम और मोहाली की पिचों के फर्क का जिक्र करते हुए भी तेज गेंदबाजों को सराहा. 



  



यहां भी सुपरहिट है ‘रफ्तार’



इस सीरीज में भारतीय तेज गेंदबाजों की जोड़ी यानि मोहम्मद शमी और उमेश यादव ने अब तक कुल मिलाकर 15 विकेट लिए हैं. राजकोट में मोहम्मद शमी और उमेश यादव ने 2-2 विकेट लिए थे. विशाखापत्तनम में शमी के खाते में 3 और यादव के खाते में 1 विकेट आया. मोहाली में शमी ने 5 विकेट और उमेश यादव ने 2 विकेट लिया. सबसे बड़ी खास बात ये है कि इस सीरीज में इन दोनों गेंदबाजों ने 145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के आस पास गेंदबाजी की है. पिछले तमाम सालों में ये पहला मौका है जब भारत के दोनों तेज गेंदबाज 145 किलोमीटर से ज्यादा की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहे हैं. 145 किलोमीटर की रफ्तार से जब उमेश और शमी ‘शॉर्टलेंथ’ गेंद फेंक रहे हैं तो इंग्लिश बल्लेबाजों को उनका इलाज नहीं समझ आ रहा है. इंग्लिश बल्लेबाज इसीलिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इस रफ्तार का अंदाजा नहीं था. जो बल्लेबाज ‘शॉर्टलेंथ’ से दो चार कर ले रहे हैं उन्हें ‘फुललेंथ’ और ‘गुडलेंथ’ पर स्विंग और सीम करती गेंदों का जवाब नहीं मिल रहा है. इससे पहले भारतीय तेज गेंदबाज 130-135 के आस पास गेंदबाजी किया करते थे. इस रफ्तार पर गेंदों का सामना करने में बल्लेबाजों को मुश्किल नहीं होती थी. उनके पास ‘पुल’ और ‘हुक’ जैसे शॉट्स खेलने की सहूलियत थी. 



खूब काम आ रहा है विराट का ‘मास्टरमाइंड’



अपने तेज गेंदबाजों की रफ्तार देखकर विराट कोहली का दिमाग भी खूब तेज चल रहा है. वो अपने गेंदबाजों को इस बात की छूट दे रहे है कि वो ‘बाउंड्री’ के डर को छोड़ दें और सिर्फ रफ्तार के साथ लाइन लेंथ पर ‘फोकस’ करें. वो अपने तेज गेंदबाजों को छोटे छोटे स्पेल में इस्तेमाल कर रहे हैं. गेंदबाजों की जरूरत के हिसाब से वो उन्हें ‘फील्ड सेट’ करके दे रहे हैं. उनकी इस चतुराई के लिए उन्हें काफी तारीफ भी मिल रही है. जिसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं. उमेश यादव और मोहम्मद शमी के गेंदबाजी रिकॉर्ड ये बताते हैं कि इन दोनों गेंदबाजों ने विराट कोहली की कप्तानी में शानदार प्रदर्शन किया है. उमेश यादव ने विराट कोहली की कप्तानी में खेले गए 13 टेस्ट मैचों में 23 विकेट लिए हैं. मोहम्मद शमी ने विराट कोहली की कप्तानी में खेले गए 12 टेस्ट मैचों में 38 विकेट लिए हैं. अभी इस सीरीज में ईशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार को मैदान में उतरने का मौका ही नहीं मिला है. ईशांत शर्मा को तो टीम मैनेजमेंट ने टीम से ‘रिलीज’ भी कर दिया है. लेकिन ये जानना जरूरी है कि उन्होंने भी विराट कोहली की कप्तानी में खेले गए 12 टेस्ट मैच में 23 विकेट लिए हैं जबकि भुवनेश्वर कुमार ने 3 टेस्ट मैच में 12 विकेट लिए हैं. फिलहाल इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि अगर मुंबई की पिच पर थोड़ी घास और मौसम में नमी रही तो भुवी प्लेइंग 11 में आ सकते हैं. 



बतौर कोच जंबो कैसे बना रहें हैं गेमप्लान



लंबे समय के बाद भारत को कोच के तौर एक एक्सपर्ट गेंदबाज मिला है. बतौर गेंदबाज अनिल कुंबले ने क्रिकेट की दुनिया में खुद को साबित किया है. उन्होंने भारत को तमाम टेस्ट मैचों में जीत दिलाई है. उनके कोच बनने के बाद गेंदबाजों का रोल बढ़ना स्वाभाविक है. असली कहानी ये है कि जंबो का ध्यान इस बात पर भी है कि तेज गेंदबाजों को कैसे ‘रोटेट’ करना है. इस बात पर उनकी पैनी नजर है कि कब किस गेंदबाज को आराम देना है. जिससे उसे बेकार की चोट से बचाया जा सके. तेज गेंदबाजों को लेकर रोटेशन पॉलिसी की जरूरत हमेशा महसूस की गई है. पिछले करीब पंद्रह साल में इरफान पठान, एल बालाजी, आरपी सिंह, वीआरवी सिंह, मुनाफ पटेल जैसे कई तेज गेंदबाज आए, जिनके इंटरनेशनल करियर के लंबा ना होने के पीछे उन्हें लगी चोट है. इन सभी तेज गेंदबाजों को लेकर एक आम परेशानी ये भी रही कि टेस्ट करियर के शुरूआत करने के कुछ समय बाद इनकी रफ्तार भी कम होती चली गई. कुंबले ने इस परेशानी को बतौर खिलाड़ी देखा है इसीलिए बतौर कोच वो तेज गेंदबाजों की फिटनेस को लेकर सतर्क हैं. 



इस सीरीज में भारतीय टीम का एकजुट प्रदर्शन देखने को मिला है. हर खिलाड़ी ने अपना रोल अच्छी तरह निभाया है. टेस्ट क्रिकेट में लंबे समय तक ‘टॉप’ पर बने रहने के लिए  जो जो जरूरतें होती हैं, वो सारी दिखाई दे रही हैं. आने वाले एक दो टेस्ट मैचों में टीम के प्रदर्शन के आंकलन के बाद ये बात और मजबूती से कही जा सकेगी कि भारतीय टेस्ट टीम के सुनहरे दौर की शुरूआत हो चुकी है.