भारत ने मुंबई में 10 विकेट की बड़ी हार के बाद शनिवार को 36 रन से राजकोट वनडे जीत लिया. राजकोट में कंगारुओं के ख़िलाफ़ भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी यूनिट ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया. मुंबई के मुक़ाबले राजकोट में टीम इंडिया की रणनीति काफ़ी अलग नजर आई. विराट कोहली ने केएल राहुल को विकेटकीपर बल्लेबाज़ का रोल दिया. निचले क्रम में शार्दुल ठाकुर की बल्लेबाज़ी के मोह से निकलकर उन्होंने ‘जेनुइन क्विक’ गेंदबाज़ नवदीप सैनी को प्लेइंग 11 में जगह दी. सबसे बड़ा फ़ैसला उन्होंने नंबर तीन की अपनी पोजिशन पर लौटने का किया. इन तीनों बड़े फ़ैसलों का असर मैच पर साफ दिखाई दिया. इसके अलावा भी भारतीय टीम के रणनीतिकारों ने कंगारुओं के ख़िलाफ़ दूसरे वनडे में कुछ प्रोफेशनल फ़ैसले किए. जो बाहर से नहीं दिखते लेकिन मैच आंकलन करने पर समझ आते हैं. परिवर्तन के दौर से गुजरने के बाद अब ऑस्ट्रेलियाई टीम जिस तरह तैयार हुई है उसके ख़िलाफ़ इसी तरह की रणनीति कारगर साबित भी होती है.
भारतीय बल्लेबाज़ों के स्ट्राइक रेट पर नज़र डालिए
डे-नाइट मैच में टॉस का रोल अहम होता है. ओस की वजह से दुनिया की सभी टीमें बाद में गेंदबाज़ी करने से कतराती हैं. यानी टॉस जीतते ही पहले गेंदबाज़ी चुनना बुद्धिमानी का काम है. राजकोट में भारतीय टीम को इस बुद्धिमानी को दिखाने का मौक़ा नहीं मिला. टॉस ऑस्ट्रेलिया ने जीता और पहले गेंदबाज़ी का मौक़ा चुन लिया. विराट कोहली और उनके बल्लेबाज़ों ने तय कर लिया था कि अगर ऑस्ट्रेलिया को 300 रनों का लक्ष्य देना है तो ग़ैर ज़रूरी जोखिम लिए बिना रन बनाना होगा. इसका मतलब ये है कि बल्लेबाज़ सिर्फ़ बड़े शॉट्स खेलने की बजाए सिंगल - डबल पर भी ज़ोर दें. आप राजकोट वनडे का स्कोरबोर्ड देखिए. रोहित शर्मा ने 95.45 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए. शिखर धवन ने 106.66 और विराट ने 102.63 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए. मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करने आए केएल राहुल ने 153.84 और रवींद्र जडेजा ने 125 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए. भारतीय बल्लेबाजी के दौरान सिर्फ़ 4 छक्के लगे. ज़्यादातर बल्लेबाज़ों ने ‘ग्राउंडेड शॉट्स’ खेले. बावजूद इसके भारतीय टीम स्कोरबोर्ड पर 340 रन जोड़ने में कामयाब रही. भारतीय बल्लेबाज़ों ने चार छक्के ही पहले मैच में भी लगाए थे लेकिन तब स्कोरबोर्ड पर 255 रन ही जमा हुए थे. ये ‘प्रोफेशनल क्रिकेट’ की पहचान है.
आखिरी 10 ओवर में रन बटोरने का गणित
वनडे क्रिकेट में भारतीय टीम की पिछले कुछ समय में ये बड़ी दिक़्क़त रही है कि वो आखिरी के दस ओवरों में बड़े स्कोर नहीं जोड़ पाई. राजकोट में इस मामले में भारतीय टीम ने बड़ा सुधार किया. 2019 विश्व कप में भारतीय टीम लगातार इस परेशानी से जूझ रही थी. अफ़ग़ानिस्तान और वेस्टइंडीज़ जैसी औसत टीमों के ख़िलाफ़ भी आख़िरी दस ओवरों में भारतीय टीम खुलकर रन नहीं बटोर पाई थी. इस परेशानी से बाहर निकलते हुए राजकोट में भारतीय टीम के बल्लेबाज़ों ने आख़िरी 10 ओवर में 91 रन जोड़े. जबकि इसके उलट कंगारुओं ने आखिरी 10 ओवर में 69 रन ही जोड़े. जीत के अंतर में ये फ़र्क़ साफ़ दिखाई देता है. इस मामले में भी विराट कोहली के भरोसेमन्द खिलाड़ी केएल राहुल का योगदान अहम रहा. उन्होंने तेज गति से रन बटोरे. इसके बाद ये भ्रम भी दूर हुआ कि क्या उन्हें नंबर तीन पर मौक़ा देना चाहिए. कुल मिलाकर ऑस्ट्रेलियाई टीम जिस ‘प्रोफेशनलिज्म’ के लिए जानी जाती थी. टीम इंडिया ने उसे उसी के अंदाज में मात दी है.
बिना जोखिम की बल्लेबाज़ी और आख़िरी दस ओवर का विस्फोट बना जीत का मंत्र
ABP News Bureau
Updated at:
18 Jan 2020 03:42 PM (IST)
ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ राजकोट वनडे जीतकर भारत ने सीरीज़ बराबर कर ली है. अब बैंगलुरु में आख़िरी मैच फ़ाइनल की तरह होगा. जीत के लिए भारत की ख़ास रणनीति पर बात कर रहे हैं वरिष्ठ खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह
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