इंडियन प्रीमियर लीग के 11वें सीजन की जब शुरुआत हुई तो सबकी नजर सिर्फ एक टीम पर थी और वो थी चेन्नई सुपर किंग्स. दो साल के बैन के बाद कोर प्लेयर को इक्टठा कर टीम एक बार फिर आईपीएल में वापसी कर रही थी. टीम के साथ-साथ महेन्द्र सिंह धोनी बतौर कप्तान वापसी कर रहे थे. भारत और चेन्नई को अपनी कप्तानी की बदौलत कई यादगार जीत दिलाने वाले कैप्टन कूल धोनी पिछले एक साल से कप्तान नहीं थे ऐसे में सबकी निगाहें इस ओर भी थी कि धोनी टीम की वापसी के साथ क्या कप्तानी में भी उसी तरह वापसी करेंगे जिसके लिए उन्हें जाना और माना जाता रहा था.


दो साल के बैन के अगर हटा दिया जाए तो धोनी की कप्तानी में सीएसके हर बार प्ले ऑफ में पहुंची दो बार चैंपियन भी बनी थी. ऐसे में फैन्स को एक बार फिर उसी चमत्कार की उम्मीद इस बार भी थी.


टीम की शुरुआत हुई ऑक्शन से, जिस टीम को फ्रेंचाईजी ने खड़ा किया उसे बुढों की टीम कहा गया. टीम का औसत उम्र 31 साल थी. लेकिन जिस तरह टीम ने अनुभव के साथ खेल को आगे बढ़ाया वो काबिले तारीफ थी. कप्तान धोनी ने टीम को बेहद करीने से सजाया. कौन कह सकता था कि जिस अंबाटी रायुडू को मुंबई इंडियंस ने बाहर किया उसे चेन्नई ने सलामी बल्लेबाज बनाकर मैदान पर भेज दिया. उसके बाद जो हुआ वो रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो चुका है. रायुडू की बल्लेबाजी से हर कोई हैरान था. इसका श्रेय जाता है तो सिर्फ और सिर्फ धोनी को.


विवादों के कारण चेन्नई को अपना होम ग्राउंड गंवाना पड़ा, सीजन के बीच टीम चेन्नई से निकल पुणे पहुंच गई. लेकिन येलो जर्सी ने यहां भी कमाल मचा दिया. अपनी बल्लेबाजी के साथ-साथ कप्तानी की बदौलत धोनी ने एक बार फिर आईपीएल को रोमांच के सातवें आसमान पर पहुंचा दिया. सीजन की सबसे शानदार टीम सनराइजर्स हैदराबद को धोनी की कप्तानी वाली सीएसके ने एक बार नहीं बल्कि पूरे चार बार हराया.


टीम की सफलता का सहरा कप्तान धोनी के सिर बांधा गया. उन्होंने नई सोच का अवॉर्ड भी जीता जो बताता है कि मैदान पर धोनी का हर दांव दूसरों पर भारी ही पड़ा. फिर चाहे बल्लेबाजी क्रम को लेकर अचानक किया गया फैसला हो या फिर गेंदबाजी में हुआ अचानक बदलाव. ऑस्ट्रेलिया के ऑलराउंडर शेन वाटसन पर दांव लगाना धोनी के लिए सबसे सफल दांव रहा. जिस खिलाड़ी को आरसीबी ने छोड़ा और जिसे लेकर हर कोई कह रहा था कि बस अब बस, लेकिन शायद यह पीली जर्सी और धोनी की टीम का कमाल था कि वाटसन ने फाइनल में शतक जड़ा जो उनका इस सीजन का दूसरा शतक था. पूरे सीजन वाटसन फॉर्म में थे. उन्होंने खुद इसका सारा श्रेय धोनी को दिया. वाटसन की पारी देखने के बाद अब लोग कहने लगे हैं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लौट आओ.


फाइनल मुकाबले में सबसे अनुभवी खिलाड़ी हरभजन सिंह को बाहर करने के फैसले पर भी लोग सवाल उठा रहे थे. हरभजन और मुंबई का 10 साल का रिश्ता रहा था. वानखेड़े के मैदान की हर परिस्तिथि से भज्जी वाकिफ थे लेकिन धोनी ने उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा और लेग स्पिनर कर्ण शर्मा को जगह दी. हर कोई हैरान था लेकिन कर्ण ने जैसे ही विलियमसन को पवेलियन की रहा दिखाई हर किसी को उनका जवाब मिल गया था.


अंत में तो बस यही कह सकते हैं कि खिलाड़ी तो संन्यास के बाद लौट आता है क्या धोनी बतौर कप्तान वापसी कर पाएंगे?