धोनी की टीम इस सीजन में प्लेऑफ में जगह बनाने वाली पहली टीम थी. उनके अनुभवी खिलाड़ियों के आगे और टीमें मैदान में फीकी दिखती थीं. धोनी की कप्तानी कमाल की चल रही थी. चेन्नई के स्पिनर्स का डंका बज रहा था, लेकिन मंगलवार को ये सारी बातें एक तरफ थीं और खिलाड़ियों की थकान एक तरफ थी.
मुरली विजय, शेन वॉटसन, हरभजन सिंह के साथ-साथ ये थकान धोनी में भी दिखाई दी. टीम की फील्डिंग बहुत खराब रही. जो कैच हथेलियों में होने चाहिए थे वो बाउंट्री के पार थे. जो चौके रूकने चाहिए थे वो नहीं रूके. इसका नतीजा ये हुआ कि मुंबई की टीम ने मैच में 9 गेंदों के बाकि रहते ही 6 विकेट के अंतर से चेन्नई सुपरकिंग्स को हरा दिया.
फाइनल में उतरने से पहले अब मुंबई इंडियंस के पास पूरे चार दिन का समय आराम करने के लिए है. 2013 के बाद से मुंबई की टीम हर एक साल का ‘गैप’ छोड़कर चैंपियन बनती है. उसके पास 2013, 2015, 2017 के बाद 2019 में ये कारनामा करने का मौका है, जबकि चेन्नई की टीम को ये समझने की जरूरत है कि स्कोरबोर्ड पर सिर्फ 131 रन बनाकर भी जीत हासिल की जाती है, बशर्ते खिलाड़ियों में जोश दिखाई दे.
प्लेऑफ में दिखी बहुत खराब फील्डिंग
खिलाड़ियों में जोश की कमी तब ही दिखी जब चेन्नई की पारी की पांचवीं गेंद पर धोनी ने ‘सिंगल’ लेकर आखिरी गेंद रायडू को खेलने दी. गेंद ‘डीप-प्वाइंट’ तक गई थी. अमूमन धोनी ऐसे मौकों पर दो रन दौड़ते हैं. लेकिन वो एक रन ही दौड़े. कॉमेंट्री में भी इस बाच पर चर्चा हुई. इसके बाद जब चेन्नई की टीम गेंदबाजी के लिए उतरी तो उसने भी रोहित शर्मा को जल्दी पवेलियन भेज दिया.
क्विंटन डी कॉक भी आउट हो गए. चार ओवर के बाद मुंबई की स्थिति भी अच्छी नहीं थी. 22 रन और दो विकेट. ये स्थिति और खराब हो सकती थी अगर पांचवे ओवर में मुरली विजय ने सूर्यकुमार यादव का कैच लपका होता. राहुल चाहर की उस गेंद पर कैच छूटने के साथ-साथ चार रन भी गए. हरभजन सिंह के अगले ओवर में इशान किशन का कैच शेन वॉटसन ने छोड़ा. पहली स्लिप पर गेंद हथेली में आते-आते रह गई.
मुंबई को चौका मिला. पंद्रहवें ओवर तक आते-आते कहानी पूरी तरह हाथ से निकल चुकी थी. यहां शेन वॉटसन ने फिर कैच छोड़ा. सूर्यकुमार यादव का कैच शेन वॉटसन की बाईं तरफ था. जो वो लपक नहीं पाए. ये सारे कैच आसान नहीं थे. लेकिन 131 रनों को अगर डिफेंड करना है तो ‘हाफ चांसेस’ को भी कैच में तब्दील करना होता है. बाउंड्री रोकने में भी मुरली विजय और हरभजन सिंह की सुस्ती साफ दिखाई दी.
क्या गलत साबित हो रही है धोनी की थ्योरी
टीम इंडिया में यंगिस्तान की वकालत करने वाले धोनी आईपीएल में बुजुर्ग खिलाड़ियों के साथ मैदान में उतरते हैं. शेन वॉटसन करीब 38 साल के हैं. हरभजन सिंह 39 के होने वाले हैं. धोनी खुद 38 साल के होने वाले हैं. मुरली विजय भी 35 साल की उम्र पार कर चुके हैं. पिछले करीब पचास दिन से ये सभी खिलाड़ी या तो मैदान में होते हैं या ‘फ्लाइट’ में.
कहीं ऐसा तो नहीं कि धोनी की ‘ओल्डिस्तान’ की थ्योरी ही उन पर भारी पड़ रही है. धोनी के पास अभी अपने खिलाड़ियों और टीम के दम-खम को साबित करने का एक मौका और है. दिल्ली कैपिटल्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच जीतने वाली टीम को हराकर धोनी फाइनल में पहुंच सकते हैं. मुसीबत बस ये है कि थकान मिटाने के लिए उनके पास सिर्फ चंद घंटे हैं. 10 तारीख को उन्हें वापस मैदान में उतरना है.
IPL 2019, BLOG: मैदान में थकी-थकी क्यों दिख रही है धोनी की टीम
ABP News Bureau
Updated at:
08 May 2019 02:04 PM (IST)
IPL 2019, BLOG: खिलाड़ियों में जोश की कमी तब ही दिखी जब चेन्नई की पारी की पांचवीं गेंद पर धोनी ने ‘सिंगल’ लेकर आखिरी गेंद रायडू को खेलने दी. गेंद ‘डीप-प्वाइंट’ तक गई थी. अमूमन धोनी ऐसे मौकों पर दो रन दौड़ते हैं. लेकिन वो एक रन ही दौड़े.
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