आईपीएल ऑक्शन 2018: एक वक्त था जब इंडियन प्रीमियर लीग में युवराज सिंह सबसे मंहगे खिलाड़ी बने थे. लेकिन अब समय ऐसा आ गया है कि आईपीएल के 11वें सीजन के लिए शनिवार और रविवार को हो रहे मेगा ऑक्शन में कोई टीम उन्हें अपने साथ नहीं लेकना चाहती.

टीम इंडिया को टी 20 विश्व कप विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज की मौजूदा फॉर्म उनके लिए बड़ी मूसीबत बन सकता है.

भारतीय टीम में उनकी वापसी के दरवाजे लगभग बंद हो गए हैं और आईपीएल की ज्यादातर फ्रेंचाइजियों के उनके लिए बोली लगाने की होड़ में शामिल होने की संभावना कम है क्योंकि उनका बेस प्राइस ज्यादा है. दो बार विश्व विजेता टीम के सदस्य रहे युवराज का बेस प्राइस दो करोड़ रुपये है.

सैयद मुश्ताक अली टी20 टूर्नामेंट में युवराज ने मात्र 96 के स्ट्राइक रेट से 216 गेंद में 208 रन बनाए हैं जिसमें नाबाद 50 (40 गेंद), नाबाद 35 ( 35 गेंद), 8 ( 16 गेंद), 4 ( 8 गेंद), 21 ( 14 गेंद), 29 ( 25 गेंद), 40 ( 34 गेंद), 17 ( 33 गेंद) और 4 ( 11 गेंद) रन की पारियां शामिल हैं.

उनके लिए इससे भी ज्यादा बुरी बात यह है कि उन्होंने ज्यादातर मौकों पर चौथे नंबर पर बल्लेबाजी की और कभी ऐसा नहीं लगा कि खेल पर उनका नियंत्रण है. पंजाब के सेमीफाइनल की दौड़ से बाहर होने का एक कारण उनकी धीमी बल्लेबाजी को भी बताया जा रहा है.

इस मुद्दे पर फ्रेंचाइजी टीमें आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बोल रही हैं लेकिन यह पता चला है कि युवराज का भविष्य इस बात पर भी निर्भर करेगा कि ऑक्शन के समय उन्हें किस पूल में रखा जाएगा.

आईपीएल से जुड़े एक फ्रेंचाइजी के अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, ‘‘इससे पहले दिल्ली डेयरडेविल्स, रॉयल चैलेंजर्स बेगलुरु, सनराइजर्स हैदराबाद ने युवराज को पिछली नीलामियों में ज्यादा कीमत में खरीदने के बाद उन्हें एक सीजन के बाद ही टीम बाहर कर दिया. क्योंकि वह अपनी कीमत के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘टीम के 14 मैचों में यह साफ नहीं है कि युवराज में इतनी क्षमता बची है कि नहीं कि वह पांच या छह मैचों के नतीजे प्रभावित कर सकते हैं. उनकी गेंदबाजी भी पहले के मुकाबले अब कहीं नहीं ठहरती और फील्डिंग में भी गिरावट आयी है. अगर कोई उन्हें बेस प्राइस पर भी खरीदता है तो वह खुशकिस्मत होंगे. शायद किंग्स इलेवन पंजाब उनमें दिलचस्पी ले जिसके साथ उन्होंने शुरूआती तीन सीजन खेला था.’’

युवराज के खिलाफ एक और बात यह है कि गौतम गंभीर और हरभजन सिंह की तरह वह कप्तान के तौर पर नहीं देखे जा रहे क्योंकि किसी भी फ्रेंचाइजी के लिए मैदान पर उतरने वाले 11 खिलाड़ियों में वह शामिल होंगे या नहीं यह भी तय नहीं है.