न्यूजीलैंड के खिलाफ अगले महीने खेले जाने वाले टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए रवींद्र जडेजा की टीम में वापसी हुई है. पिछले कुछ सालों में जडेजा की बल्लेबाजी में आए सुधार के बाद प्लेइंग 11 में उनका चयन तय माना जा रहा है. इंग्लैंड रवाना होने से पहले जडेजा ने अपनी कामयाबी का राज बयां किया है. जडेजा ने कहा कि 2018 में मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें टेस्ट ने उनके लिए सबकुछ बदल कर रख दिया.
जडेजा का कहना है कि उस टेस्ट में किए गए प्रदर्शन से उन्हें काफी आत्मविश्वास मिला क्योंकि उन दिनों वह अपने करियर में संघर्ष कर रहे थे और भारतीय टीम में तीनों फॉर्मेट में जगह बनाने के लिए जूझ रहे थे.
2018 में ओवल में पांचवें टेस्ट के दौरान भारतीय टीम इंग्लैंड द्वारा पहली पारी में बनाए गए 332 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी और एक समय तक उसने 160 रन तक अपने छह विकेट गंवा दिए थे और फिर जडेजा आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरे थे. उन्होंने 156 गेंदों पर 86 रनों की नाबाद पारी खेलकर भारत को संकट से बाहर निकाला.
जडेजा ने कहा, "उस टेस्ट ने मेरे लिए सब कुछ बदल दिया. पूरा खेल. मेरा प्रदर्शन, मेरा आत्मविश्वास, सब कुछ. जब आप सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ अंग्रेजी परिस्थितियों में स्कोर करते हैं, तो यह आपके आत्मविश्वास को बहुत प्रभावित करता है. यह आपको महसूस कराता है कि आपकी तकनीक दुनिया में कहीं भी स्कोर करने के लिए काफी अच्छी है. बाद में हार्दिक पांड्या चोटिल हो गए और मैंने वनडे में वापसी की. तब से मेरा खेल अच्छा चल रहा है."
उड़ गई थी रातों की नींद
आलराउंडर ने भारतीय टीम से बाहर रहने के दिनों को याद करते हुए कहा, "ईमानदारी से कहूं तो वो डेढ़ साल रातों की नींद हराम कर दिया था. उस दौर में मुझे याद है कि मैं सुबह 4-5 बजे तक उठ जाता था. मैं सोच रहा था कि क्या करूं, मैं वापसी कैसे करूं? मैं सो नहीं सका. मैं लेटा रहता था, लेकिन जगा ही रहता."
जडेजा ने आगे कहा, "मैं टेस्ट टीम में था, लेकिन खेल नहीं रहा था. मैं वनडे नहीं खेल रहा था. मैं घरेलू क्रिकेट भी नहीं खेल रहा था, क्योंकि मैं भारतीय टीम के साथ यात्रा कर रहा था. मुझे खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं मिल रहा था. मैं सोचता रहता था कि मैं कैसे वापसी करूंगा."
जडेजा ने भारत के लिए अब 51 टेस्ट, 168 वनडे और 50 टी20 इंटरनेशनल मैच खेला है.