विजय हज़ारे ट्रॉफी में बंगाल और झारखंड की टीमों के बीच एक ऐसा विवादास्पद मैच खत्म हुआ. आखिर में जिसका फैसला वीजेडी मैथड से करना पड़ा. खराब रौशनी और दोनों टीमों के स्लो ओवर रेट की वजह से अंत में इस मैच का फैसला इस अंदाज़ में किया. झारखंड टीम को वीजेडी मैथड से अंत में विजेता घोषित किया गया.
चेन्नई में खेले गए इस मुकाबले को सुबह 9 बजे शुरु किया गया लेकिन दोनों टीमों की धीमी गेंदबाज़ी की वजह से मैच शाम 6 बजे तक भी खत्म नहीं हो सका.
झारखंड की टीम ने मैच में टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी का फैसला किया. लेकिन उन्होंने अपने 50 ओवर खत्म करे के लिए चार घंटे 18 मिनट का समय ले लिया. इसके बाद 45 मिनट के लंच ब्रेक को भी घटाकर 30 मिनट का कर दिया गया. दूसरी पारी को 1:15 पर शुरु करना था लेकिन धीमी ओवर गति की वजह से दूसरी पारी 1.48 पर शुरु हो सकी.
लेकिन इसके बाद बंगाल की टीम का ओवर रेट भी बेहद धीमा रहा और रौशनी कम होने लगी. इसके बाद मैदानी अंपायर साईं दर्शन कुमार और राजेश तिमाने ने मैच रेफरी के साथ बातचीत कर शाम 6 बजे मैच रोकने का फैसला कर दिया. जब मैच रोका गया जो झारखंड को आखिरी ओवर में 4 रनों की दरकार थी और उसका एक विकेट बाकी था. अंपायर और रेफरी ने इसके बाद फैसला करके झारखंड टीम को वीजेडी मैथड से विजेता घोषित कर दिया.
बंगाल टीम के कोच साइराज बहुतुले ने मैच के बाद क्रिकइंफो से बातचीत में कहा कि 'अगर वो शाम 6 बजे तक इंतज़ार कर सकते थे तो एक ओवर और गेंदबाज़ी की जा सकती थी. बोर्ड को इस तरह की चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए और ये अंपायरों के विवेक पर भी निर्भर करता है कि वो 30 मिनट के ब्रेक को भी घटा सकते थे. झारखंड ने 45 मिनट ज्यादा गेंदबाज़ी की जिसपर विचार करना चाहिए थे. अगर वो एक ओवर फेंका जाता तो सही फैसला आता. फिर चाहे हम जीतते या हारते.'
वहीं झारखंड के स्टार शाहबाज़ ने कहा कि 'खेल जारी रखने और आखिरी ओवर खत्म करने के लिए रौशनी बेहद खराब थी.' शाहबाज़ नदीम की बात से सहमति जताते हुए 10वें नंबर बल्लेबाज़ी कर रहे वरूण एरॉन ने भी कहा कि 'बहुत अंधेरा था और मैं मुश्किल से गेंद देख पा रहा था.'