रांची: भारत के सीमित ओवरों के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा है कि फिनिशर का काम सबसे कठिन है और ऐसा मुकम्मिल खिलाड़ी तलाशना कठिन है जो निचले क्रम पर अच्छी बल्लेबाजी करके टीम को जीत तक ले जाये.



 



धोनी ने मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा,‘‘इस तरह के विकेट पर निचले क्रम पर बल्लेबाजी करना सबसे कठिन काम है. ऐसे में स्ट्राइक रोटेट करने और साझेदारी बनाने का भी दबाव होता है. यह आसान नहीं है. आपको हमेशा ऐसा बल्लेबाज नहीं मिलता जो पांचवें, छठे या सातवे नंबर पर अच्छी बल्लेबाजी कर सके.’’ 



 



अजिंक्य रहाणे(57) और विराट कोहली(45) ने भारत को अच्छी शुरूआत दी लेकिन जीत तक नहीं ले जा सके. निचले क्रम पर अक्षर पटेल(38) और अमित मिश्रा(14) ने भारत की उम्मीदें जगाई मैच जिताने वाली साझेदारी नहीं कर सके.



 



मध्यक्रम के अनुभवहीन बल्लेबाजों को लेकर और संयम बरतने का अनुरोध करते हुए धोनी ने कहा,‘‘लक्ष्य का पीछा करते हुए इस तरह के विकेट पर बल्लेबाजी करना कठिन होता है. उन्हें समय देना होगा. वे अपना रास्ता खुद बनायेंगे. इस तरह के अधिक से अधिक मैच खेलने के बाद वे लक्ष्य का पीछा करना सीख जायेंगे.’’ 



 



उन्होंने कहा,‘‘ इस तरह के विकेट पर जब स्कोर ज्यादा नहीं हो तो आपको साझेदारियों की जरूरत होती है. शुरूआत में बल्लेबाजी आसान थी लेकिन विकेट धीमा होने के बाद गेंद बल्ले पर नहीं आ रही थी. ऐसे में रोटेट करना मुश्किल हो गया था.’’ 



 



ईश सोढी की बाहर जाती गेंद को कट करने के प्रयास में विराट कोहली विकेट के पीछे कैच दे बैठे. यह पूछने पर कि क्या भारत कोहली पर काफी निर्भर है, धोनी ने कहा,‘‘ऐसा नहीं है. आंकड़ों से असल हालात का पता नहीं चलता.’’ 



 



धोनी ने कहा कि भारत ने पिछले डेढ महीने में ज्यादा वनडे मैच नहीं खेले हैं. बीच में जिम्बाब्वे के साथ खेला था. यह काफी कठिन है. मैने भी उस समय अलग अलग पोजिशन पर बल्लेबाजी की थी. हमारे शीषर्क्रम ने उम्दा बल्लेबाजी की थी लिहाजा सब कुछ अलग था.’’ 



 



उन्होंने कहा कि पिच धीमी हो गई थी और दिल्ली की पिच की तरह थी जहां न्यूजीलैंड ने छह विकेट से जीत दर्ज की थी.



 



उन्होंने कहा,‘‘इन दो मैचों में विकेट धीमी थी जिन पर लक्ष्य का पीछा करना कठिन हो गया था.’’