केएल राहुल ने कोविड के चलते क्रिकेट में इस्तेमाल हो रहे बायो-बबल से होने वाली परेशानियों का दर्द बयां किया है. उन्होंने बताया कि बायो-बबल में खुद को मोटिवेट रखना काफी मुश्किल हो जाता है. इसमें जिंदगी सिर्फ सोना, उठना और ग्राउंड पर जाने तक सीमित हो जाती है.


'क्लबहाउस एप' पर एक बातचीत के दौरान जब केएल राहुल से बायो-बबल के बारे में पूछा गया तो वह कहते हैं, 'शुरू में काफी हद तक ठीक था, लेकिन बाद में दिक्कतें होने लगी. मेरे लिए खुद को मोटीवेट रखना काफी मुश्किल हो गया. शुरूआती कुछ बबल मैंने मैनेज किये. इस दौरान मैं खुद से पूछता रहता था कि मैं और क्या कर सकता हूं? मैं और कहां हो सकता हूं? फिर मैं ही इन सवालों का खुद ही जवाब देता था कि क्रिकेट ही है जिसमें मैं अच्छा हूं और यही वह चीज है जिसे मैंने चुना है, इसलिए सबकुछ ठीक है.'


केएल राहुल बताते हैं, 'पिछले कुछ महीने काफी मुश्किल थे. जब आपका परिवार साथ नहीं आ सकता तो यह और मुश्किल हो जाते हैं. सामान्य महसूस करने के लिए आपको अपने परिवार और अपने दोस्तों की जरूरत होती है. एक वक्त ऐसा आया जब हमने सामान्य महसूस करना बंद कर दिया. हम सोते थे, उठते थे और ग्राउंड पर चले जाते थे. यह एक रूटीन सा बन गया. इसी कारण यह मुश्किल होता गया.'


केएल राहुल ने बायो बबल के इन नकारात्मक प्रभावों के बीच एक फायदा भी गिनाया. उन्होंने कहा, 'बायो बबल की एक अच्छी बात यह रही कि इससे टीम के खिलाड़ियों को एक-दूसरे को बेहतर अंदाज में जानने का मौका मिला. मैं जिन खिलाड़ियों के साथ 4-5 साल से हूं, उन्हें बायो बबल के कारण बेहतर तरह से समझ सका हूं. इससे हमारी बॉन्डिंग बढ़ी है.'


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