चेन्नई: टीम इंडिया के स्टार गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने महेंद्र सिंह धोनी की शानदार कप्तान के रूप में तारीफों के पुल बांधे और कहा कि उनसे कप्तानी के काफी गुर सीखे जा सकते हैं.



 



उन्होंने यह भी कहा कि अब सभी प्रारूपों में भारतीय टीम की कप्तानी संभालने वाले विराट कोहली भी कमतर नहीं है और वह उनकी जगह लेने के लिये सही दौर में हैं.



 



अश्विन ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह (धोनी) बतौर खिलाड़ी उपलब्ध रहेगा, उसका कैरियर अद्भुत और शानदार था. बतौर कप्तान धोनी से नेतृत्व करने की कई सीख ली जा सकती है, यहां तक कि बड़े नेतृत्वकर्ताओं के लिये भी. ’’ एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप पूछेंगे कि कोई भी धोनी की उपलब्धियों के स्तर की बराबरी कर सकता है या ऐसा प्रदर्शन कर सकता है तो यह एक अत्यंत कठिन काम है, निश्चित रूप से यह आसान नहीं होगा. ’’ 



 



यह पूछने पर कि वह कोहली की कप्तानी में बतौर गेंदबाज कैसा प्रदर्शन करेंगे तो उन्होंने कहा कि वह आगे के लिये तैयार हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह रोमांचक दौर होने वाला है, यह सब मुश्किल समय में एक साथ मिलकर कड़ी मेहनत करना है. वह ऐसा खिलाड़ी है जो सुझाव मांगता है. ’’ 



 



टेस्ट गेंदबाजों की शीर्ष रैंकिंग पर काबिज इस गेंदबाज ने कहा, ‘‘यह सवाल गलत है कि कोई (धोनी के बाद) आगे बढ़ने के लिये आगे आयेगा. कोई न कोई आयेगा. विराट कोहली भी कमतर नहीं है, अगर आप उसके पिछले एक साल के टेस्ट प्रदर्शन को देखो. वह जिम्मेदारी संभालने के लिये सही दौर में है. इसे देखते हुए ही, मुझे लगता है कि धोनी ने कोहली को जिम्मेदारी देने के बारे में सोचा. ’’ 



 



धोनी के सीमित ओवरों के प्रारूप से कप्तानी छोड़ने से संबंधित सवाल पूछने पर अश्विन ने कहा, ‘‘यह एक निजी फैसला है. मैं नहीं जानता कि मेरे इस बारे में बात करने का कोई मतलब है. यह पेशेवर दुनिया है और मैं कोई सुझाव नहीं दे सकता हूं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम भावनात्मक द्वंद में जा रहे हैं, यह एक निजी फैसला है, मुझे लगता है कि हमें इसका (धोनी के फैसले का) सम्मान करना होगा, यह मेरा उनके प्रति सम्मान दिखाने का तरीका है. ’’ 



 



धोनी के कप्तानी छोड़ने के भविष्य के बारे में उन्होंने याद दिलाया कि कैसे सौरव गांगुली ने ‘जुझारू जज्बे’ के नये युग की शुरूआत की थी, इस दौरान ही धोनी ने उपर बढ़ना शुरू किया था.



 



उन्होंने कहा, ‘‘गांगुली के बाद, तब महसूस किया गया कि उनके जैसा कोई भी होगा और यह सब सामान्य और भावनात्मक है, विशेषकर भारत एक भावनात्मक देश है. जब इतने शानदार खिलाड़ी खेल को छोड़ेंगे तो ऐसा होना लाजमी ही है. ’’